बीकानेर। डूंगर कॉलेज में भूगोल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शनिवार को समापन हुआ। मीडिया प्रभारी डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि दूसरे दिवस के प्रथम सत्र में घड़साना के डॉ. आर.जी. शर्मा ने वेदों और प्राकृतिक आहार एवं तपस्या में भौगोलिक परिस्थितियों के महत्व पर प्रकाश डाला। इन्जीनियरिंग कॉलेज की डॉ. चंचल कच्छावा ने देवीकुण्ड सागर के पानी की भौतिक व रासायनिक विशेषताओं पर चर्चा की। इसी सत्र में नीमिश एवं उमा जांगिड़ ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सत्र की अध्यक्षता डॉ. मीरा श्रीवास्तव ने की।
दूसरे सत्र में हरियाणा राज्य रिमोट सेंसिंग उपयोगिता केन्द्र के डॉ. सुल्तान सिंह ने ई-गवर्ननेंस के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने नगरीय आयोजना में रिमोट सेंसिंग व भौगोलिक सूचना तंत्र के उपयोग एवं सीमा के बारे में बताया। इसके अतिरिक्त बताया कि हरियाणा राज्य में भूमि रिकॉर्ड संबंधित समस्त सूचनाओं को जी स्मार्ट पटवारी स्कीम के तहत डिजीटल कर दिया गया है, जिससे आम नागरिक अपनी भूमि से संबंधित सूचनाओं को मानचित्र पर आसानी से देख सकते हैं।
विषय विशेषज्ञ डॉ. विपिन सैनी ने बताया कि सुबह के सत्र में प्रतिभागी अत्यधिक संख्या में उपस्थित रहे। इनमें राजूवास के डॉ. ऋषि कुमार पारीक, डॉ. सौहेल कुरैशी, शिलोंग के रामावधेश सिंह, डूंगर कॉलेज के डॉ. सोमनारायण पुरोहित, डॉ. विनोद सिंह नेहरा, डॉ. करबी शाह, डॉ. राजेश भाकर, डॉ. उषा, डॉ. भगवानाराम, डॉ. देवेश सहारण, निशा, सरिता, रामलाल, रमेश तथा दीपक जयपाल आदि ने विभिन्न प्रकार की जिज्ञासा वक्ताओं के समक्ष रखीं। वक्ताओं ने उनके बारे में विस्तार से समझाया। इस सत्र की अध्यक्षता पूर्व उपाचार्य डॉ. अहमद अली ने की।
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