नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग ने आदेश दिया है कि महात्मा गांधी की हत्या
से जुडे मुकदमे में नाथूराम गोडसे के बयान सहित अन्य संबंधित रेकॉर्ड को
तुरंत नेशनल आर्काइव्ज (राष्ट्रीय अभिलेखागार) की वेबसाइट पर सार्वजनिक
किया जाए।
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सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा, कोई नाथूराम गोडसे और उनके सह-आरोपी
से इत्तेफाक भले ही ना रखें, लेकिन हम उनके विचारों का खुलासा करने से
इनकार नहीं कर सकते। सूचना आयुक्त ने साथ ही अपने आदेश में यह भी कहा,ना ही
नाथूराम गोडसे और ना उनके सिद्धांतों और विचारों को मानने वाला व्यक्ति
किसी के सिद्धांत से असहमत होने की स्थिति में उसकी हत्या करने की हद तक जा
सकता है। दक्षिणपंथी कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को
महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।
याचिका दायर करने वाले आशुतोष बंसल ने दिल्ली पुलिस से इस हत्याकांड की
चार्जशीट और गोडसे के बयान समेत अन्य जानकारियां मांगी हैं। दिल्ली पुलिस
ने उनके आवेदन को नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया के पास यह कहते हुए भेज दिया
कि संबंधित रेकॉर्ड नेशनल आर्काइव्ज को सौंपे जा चुके हैं। आर्काइव्ज ऑफ
इंडिया ने बंसल से कहा कि वह रेकॉर्ड देखकर खुद ही सूचनाएं प्राप्त कर लें।
सूचना पाने में नाकाम रहने के बाद बंसल केंद्रीय सूचना आयोग पहुंचे।
हालांकि, दिल्ली पुलिस और नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया ने सूचना सार्वजनिक
करने में कोई आपत्ति नहीं जताई है।
आचार्युलु ने कहा कि मांगी गई सूचना के
लिए किसी छूट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि सूचना 20 वर्ष से
ज्यादा पुरानी है, ऎसी स्थिति में यदि वह आरटीआई कानून के सेक्शन 8(1)(ए)
के तहत नहीं आता तो उसे गोपनीय नहीं रखा जा सकता।
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