नूहं। नूहं स्थित सेठ चुहीमल का तालाब अपनी खूबसूरती के साथ -साथ गुबंद में की गई चित्रकारी के लिए खासी पहचान रखता है। सेठ चुहीमल के चौथी पीढ़ी के वंशजों ने गुबंद की सुध तो ली ,लेकिन इस इतिहासिक तालाब की सफाई से लेकर सबको लुभाने वाली खूबसूरत छतरियों को प्रशासन और सरकार पूरी तरह भूल गई। मेवात जिला 2005 में बना लेकिन आज तक भी सरकार किसी ऐतिहासिक स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं कर पाई। [@ खट्टी मीठी यादें छोड़ गया 2016 ] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
अगर सेठ चुहिमल तालाब को सरकार पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करे तो मेवात के लोगों की सुविधा के साथ -साथ सरकार को राजस्व की बढ़ोतरी ही नहीं इतिहास को भी जिंदा रखा जा सकेगा। लोगों के मुताबिक गुबंद में जो चित्रकारी की गई है ,ऐसी चित्रकारी अजंता -एलोरा की गुफाओं में देखने को मिलती हैं। तालाब की खासियत यह है कि आज तक इसका पानी नहीं सूखा है। आबादी में आ जाने की वजह से अब साफ -सुथरे तालाब में गन्दगी बढ़ी है।
मेवात जिले में ऐतिहासिक इमारतों की कमी नहीं है ,लेकिन जिला मुख्यालय नूंह में होने की वजह से इसे आसानी से पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। गुबंद के अंदर जो विशाल गुफा है ,वह सैकड़ों मीटर दूर सेठ चुहिमल के महल तक जाती है। सेठ चुहिमल आज से सैकड़ों साल पहले इस इलाके के काफी अमीर व्यक्ति थे। तालाब और गुबंद के साथ -साथ गुफा को आरामगाह के लिए बनाया था।
तालाब में स्नान करने के लिए गुफा से जाते थे ,और स्नान के बाद गुबंद की छतरी पर धूप सेंकते थे। समय तेजी से बदला ,लेकिन तालाब की सूरत सरकार बदलना भूल गई। पुरातत्व विभाग ने मेवात की किसी भी ऐतिहासिक ईमारत को गंभीरता से नहीं लिया। अगर पुरातत्व विभाग और सरकार का यही रवैया रहा तो ऐतिहासिक इमारतों का वजूद समाप्त हो जायेगा और आने वाली पीढिय़ां इन इमारतों को महज किताबों में ही देख सकेंगे।
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