पाली। दीया तले अंधेरा वाली कहावत धनला गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पर सटीक बैठती है। इस विद्यालय के पास ही 25 परिवारों के 40 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं लेकिन, किसी शिक्षक व संस्था प्रधान ने शायद ही इनको शिक्षा से जोडऩे की पहल की होगी। ये बच्चे भोर की पहली किरण उगने के साथ ही घरेलू कामों में जुट जाते हैं। कोई पानी भरकर लाता है तो कोई लकडिय़ां बीनकर। यह कार्य पूरा होने पर खेलने में मस्त हो जाते हैं। जबकि इन सभी बच्चों की उम्र छह से चौदह वर्ष के बीच है। यहां रहने वाले सोजत के मूल निवासी अमराराम वागरी, जो 11 परिवारों के मुखिया है। उनके 13 बच्चे हैं। वे बताते हैं हमारे पास आधार कार्ड, राशन कार्ड भामाशाह कार्ड आदि हैं। इसके बावजूद कोई सुविधा नहीं मिल रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से अलग-अलग जगह पर मजदूरी करते हैं। बच्चे भी साथ रहते हैं। ऐसे में इनको चाहकर भी स्कूल नहीं भेज पाते हैं। उनका कहना है कि वर्ष में सिर्फ दो माह ही घर जाते हैं। वहां रहने वाली बुजुर्ग महिला शारदा देवी ने बताया कि मैं पांचवीं तक पढ़ी हूं। बच्चों को भी पढ़ाना चाहती हूं, लेकिन भूख मिटाने व सुविधाओं के अभाव में भटक रहे हैं। बच्चे भी हमारे साथ भटक रहे हैं। इस बारे में मारवाड़ जंक्शन के ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी जौहरीलाल वर्मा ने कहा कि नोडल प्रभारियों, सरपंच, ग्राम समन्यवक तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शिक्षा से वंचित 6 से 14 वर्ष के बच्चों को स्कूल से जोडऩे को कहा है। यहां रहने वाले बच्चों को भी नजदीक के विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाएगा।
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