उदयपुर। एकलव्य को तो गुरुदक्षिणा में सिर्फ अंगूठा ही देना पड़ा था, लेकिन ये नौनिहाल तो रोज अपनी जान-जोखिम में डालकर शिक्षा लेने जा रहे हैं। चौंकिएगा नहीं, यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि हकीकत हैं। उदयपुर से 50 किमी. दूर जयसमंद झील के टापू पर बसे आदिवासी अंचल भटवाड़ा और बीड़ा के लोग बच्चों को रोज जान हथेली पर रखकर पढऩे भेज रहे हैं। ये बच्चे रोज जयसमंद झील के तीन किमी. एरिया को टूटी-फूटी नौका से पार कर सरकारी स्कूल जाते हैं। इस दौरान झील में इनका सामना खतरनाक मगरमच्छों से भी होता है। कभी-कभी तो हालात ऐसे होते हैं कि मगरमच्छ इनकी नौका को पलटने का प्रयास करते हैं, लेकिन, इसे करिश्मा कुदरत का कहें या बच्चों का हौसला, अभी तक कोई अनहोनी नहीं हुई है।
गल चुकी हैं नौकाएं
ये बच्चे सड़ी-गली हुई लकड़ी से बनी इन दो नौकाओं में करीब 18-20 बच्चे बारी-बारी से चप्पू चलाते हैं। किनारे उतरकर पैदल स्कूल जाते हैं। झील में हर रोज यह नजारा आम है। नौकाएं इतनी सड़ी-गली हैं कि इनसे हादसे की आशंका बनी रहती है। नौकाओं में पानी भरने पर बच्चे उसे निकालते हैं और जैसे-तैसे अपना सफर पूरा करते हैं। बच्चों ने बताया कि दो साल पहले एक हादसा हुआ था, जिसमें बच्चे पानी में गिर गए थे, जिन्हें बड़ी मुश्किल से बचाया गया था।
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