राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आम आदमी पार्टी की जांच कमेटी ने यदि
छोटेपुर को आरोपों से बरी नहीं किया तो पार्टी को इसका बड़ा घाटा उठाना
पड़ेगा, क्योंकि पंजाब में लंबे समय से सत्ता से वंचित कांग्रेस उन पर डोरे
डालने में जुट गई गई है। मौका मिलते ही वह उनके सामने पद का उसी तरह से
प्रलोभन पेश करेगी जैसे नवजोत सिंह सिद्धु को किया है। ऐसे में ‘आप’ को इस
कदम से नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बता दें कि 1986 में अमृतसर में
‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ चलाया गया था तब छोटेपुर ने सुरजीत सिंह बरनाला
कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उनकी यह तल्खी अब तक कायम है। ऐसे में वह
चुनाव में परेशानी का सबब बन सकते हैं। छोटेपुर के नुकसान की भरपाई के लिए
पार्टी बुद्धिजीवी वर्ग, बिजनेसमैन और दूसरी पार्टियों के असंतुष्ट लोगों
को जोडऩे में लगी है। रविवार को पार्टी ने जालंधर में ऐसे 40 लोगों को
जोड़ा है। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि दोनों पार्टियों की सत्ता देखकर
जनता अब शायद विकल्प की तलाश में है। यही विकल्प ही उनका बड़ा हथियार है।
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