धर्मशाला । प्रदेश सरकार में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अन्य पिछड़ा
वर्ग एवं वित्त निगम के अध्यक्ष चौधरी चंद्र कुमार पर भूमि पर कब्जा किए जाने तथा उसको
लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार को गुमराह करने का आरोप लगाया है। साथ यह भी कहा गया है
कि कांग्रेस नेता और एक अधिकारी को बचाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रदेश राजभवन
और सीएम कार्यालय के आदेशों को भी अमल में नहीं ला रहे हैं।
सोमवार को धर्मशाला में पत्रकारों को संबोधित करते
हुए शिकायतकर्ता अधिवक्ता आर.के. मनकोटिया ने कहा कि उन्होंने 3 फरवरी 2016 को इस
मामले की शिकायत प्रधानमंत्री, राज्यपाल, सीएम और अन्य उच्चाधिकारियों को भेजी थी।
15 फरवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय और राजभवन से इस बारे में आवश्यक कार्रवाई के लिए
प्रदेश के मुख्य सचिव और प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व को आवश्यक कार्रवाई
के लिए पत्र जारी किया। 16 अप्रैल को मुख्य सचिव ने डीसी कांगड़ा को इस बारे में कार्रवाई
के लिए कहा जबकि अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व ने 31 मार्च को ही डीसी कांगड़ा को कार्रवाई
करके रिपोर्ट प्रेषित करने के लिए कहा। बताया जा रहा है कि पूर्व सांसद चौधरी चन्द्र
कुमार पर आरोप है उन्होंने सरकारी भूमि पर अवैध तौर पर कब्जा कर रखा है। जिस भूमि पर
विवाद है उसपर पहले चन्द्र कुमार के ही नौकर पवन कुमार ने अवैध रूप से कब्जा किया था।
मामला सामने आने के बाद राजस्व विभाग ने कब्जा छुड़ाने की कार्रवाई शुरू की। 2005
में यह मामला सामने आया था और तहसीलदार ज्वाली ने 2006 में बेदखली के आदेश पारित किए।
इस भूमि पर भवन का निर्माण भी पवन कुमार ने किया था जिससे पवन को बेदखल करके सरकार
के कब्जे में लेने के आदेश हुए। 10 साल होने को हैं और कब्जा लेने की कार्रवाई आज भी
चली हुई है। जबकि राजस्व विभाग ने नियमों को दरकिनार करते हुए यही विवादित भवन और भूमि
चन्द्र कुमार को ट्रांसफर कर दी। जिस तहसीलदार कार्यालय से कब्जा छुड़ाने के आदेश जारी
हुए जिस पर आज तक कार्रवाई दिसंबर 2015 तक चल रही, लेकिन उसी कार्यालय इस भवन और भूमि
को 2013 को ही ट्रांसफर भी कर दिया। मनकोटिया का कहना है कि जब कोई भूमि सरकार के
कब्जे में आई ही नहीं तो उसे किस आधार पर ट्रांसफर किया गया इसका जवाब किसी अधिकारी
से नहीं मिल रहा है।
मनकोटिया ने कहा कि लंबे समय तक इस मामले की सूचना
नहीं मिलने पर उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी। सीएम ऑफिस ने उन्हें जवाब दिया
की 25 फरवरी को कार्रवाई के लिए डीसी कांगड़ा को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी गयी है।
मानकोटिया ने कहा कि इस बारे में तहसीलदार ज्वाली ने उन्हें जवाब दिया है कि ऐसा कोई
मामला या पत्र उनके पास नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि इससे गम्भीर बात क्या हो सकती
है कि प्रधानमंत्री, राज्यपाल और सीएम के कार्यालय के आदेशों की राजस्व विभाग के अधिकारी
अवहेलना कर रहे हैं। कई माह बीत जाने के बाद भी तहसीलदार ज्वाली को उक्त कार्यालयों
से जारी पत्र मिले ही नहीं जो की अपने आप में संदेह पैदा करता है। उन्होंने मांग की
है कि इस बारे में उचित कार्रवाई की जाए और मामले को दबाने के प्रयासों में लगे अधिकारियों
के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
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