बाड़मेर। बालक जब सीखता नहीं है तो शिक्षक का तपोबल स्वयं ढीला पड़ जाता है, मानवता की आवाज को जब विवश किया जाता है तब अपने आप को बदलने का प्रयास करना चाहिए। शिक्षण कार्य में दूसरों को तराशना सबसे कठिन कार्य है, साथ ही दुख का कारण अपेक्षा है। साथ ही बुराइयों का नाश ही धर्म की स्थापना करने का कार्य है, जब-जब शिक्षक की जीत हुई है, तब-तब मानवता की जीत हुई है। ये उद्गार श्री क्षत्रिय युवक संघ प्रमुख भगवान सिंह रोलसाहबसर ने मंगलवार को भारतीय ग्राम्य आलोकायन आश्रम में दीपावली स्नेह मिलन समारोह में देते हुए जिले भर के शिक्षकों को दीपावली पर्व की शुभकामनाएं दीं। इस दौरान रोलसाहबसर ने कहा कि आप लोगों का ऐसा आदेश नहीं होना चाहिए, शिक्षक के पास विद्यारूपी अमूल्य धन है, जो उसे वर्तमान भविष्य और भूतकाल तीनों में श्रेष्ठता प्रदान करता रहेगा।
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