जयपुर। राज्य सरकार के तकनीकी शिक्षा विभाग की लापरवाही प्रदेश की एक बेटी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन रहे कॅरिअर के आड़े आ रही है। मामला जोधपुर आईआईटी से पीएच.डी. की डिग्री हासिल करने वाली और मूल रूप से उदयपुर की हिना राठौड़ का है। उसे हाल में 8 दिसंबर को दीक्षांत समारोह में पीएच.डी. की डिग्री से नवाजा गया। उसको कतर यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरेट करने के लिए प्रवेश मिल गया है। निर्धारित मापदंडों के अनुसार डिग्री सरकार से सत्यापित होनी जरूरी है। इसके लिए उसने राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग में संपर्क किया तो वहां से जवाब मिला कि आईआईटी की डिग्री का अनुमोदन केंद्रीय मंत्रालय ही करेगा। जब वह मानव संसाधन मंत्रालय पहुंची तो उसे करीब 12 साल पुराने आदेश का हवाला देते हुए पुन: राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग में ही जाने को कहा गया। मानव संसाधन मंत्रालय में आईआईटी के सेक्शन ऑफिसर कुंदननाथ का कहना है कि मंत्रालय ने वर्ष 2004 में ही यह आदेश निकाल दिया था कि कोई भी शैक्षणिक संस्थान हो, उसकी डिग्रियों का अनुमोदन संबंधित राज्य का तकनीकी शिक्षा विभाग ही करेगा। देश में यह पहला ‘स्टुपिड केस’ है जो मंत्रालय तक पहुंचा है। यह वहां के तकनीकी शिक्षा विभाग की लापरवाही है। उन्होंने बताया कि आईआईटी जोधपुर का भी पत्र मिल गया है। वर्ष 2004 का आदेश दिल्ली में आरके पुरम स्थित स्कॉलरशिप विंग की ओर से निकाला गया था। इसकी कॉपी मंगवाई गई है, इस बारे में वापस सर्कुलर जारी करेंगे।
विदेश मंत्री से मदद मांगी
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