बलंवत तक्षक
चंडीगढ़ । पंजाब कांग्रेस में 40 सीटों पर घमासान की स्थिति है। एक-एक सीट पर कई-कई दावेदार हैं। बगावत के डर से उम्मीदवारों की घोषणा रोक दी गई है। दूसरी पार्टियों से कांग्रेस में आये नेताओं की उम्मीदवारी का ऐलान भी नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस ने पहली सूची में 61 उम्मीदवारों का ऐलान किया था। यह ऐसी सीटें थीं, जहां कांग्रेस के दिग्गजों का कब्जा है और यहां उम्मीदवारी को ले कर कोई विवाद नहीं था। 16 उम्मीदवारों की दूसरी सूची भी थोड़े वाद-विवाद के बाद जारी कर दी गई, लेकिन बाकी रही 40 सीटों पर भारी मारामारी है। टिकटों की तीसरी सूची जारी होने के बाद बगावत थाम पाना शायद मुख्यमंत्री पद के दावेदार कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भी मुश्किल हो। भले ही कैप्टन कह चुके हैं कि टिकट से वंचित रहे नेताओं को कांग्रेस के सत्ता में आने पर विभिन्न बोर्डों-निगमों की चेयरमैनी दे कर एडजस्ट कर दिया जाएगा, बावजूद इसके बिगड़े हालात पर काबू पा लिया जाएगा, इसकी संभावना कम ही नजर आती हैं। ऐसे में बाकी रही सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान नामांकन पत्र दाखिल किए जाने तक लटक सकता है।अभी यह तय नहीं है कि अमृतसर से नवजोत कौर सिद्धू लड़ेंगी या नवजोत सिंह सिद्धू को टिकट दिया जाएगा। सिद्धू के 28 दिसंबर को कांग्रेस का हाथ थामने की उम्मीद है। सिद्धू कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से अलग-अलग मुलाकात कर चुके हैं। नवजोत कौर सिद्धू के साथ अकाली दल से कांग्रेस में आये ओलंपियन परगट सिंह की जालंधर कैंट से टिकट अभी फाइनल नहीं हुई है। परगट सिंह को टिकट मिलने की सूरत में जगबीर बराड़ के आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने का डर है। अकाली दल छोड़ने वाले पूर्व मंत्री सरवन सिंह फिल्लौर को उम्मीदवार बनाने की स्थिति में फिल्लौर सीट से विक्रमजीत चौधरी ने चुनाव लड़ने की तैयारी की हुई है। साहनेवाल से कैप्टन गायिका सतविंदर बिट्टी को टिकट देना चाहते हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल अपने दामाद विक्रम बाजवा को चुनाव लड़ाने के लिए जोर लगा रही हैं। इसी खींचतान के चलते फिरोजपुर से अकाली सांसद शेरसिंह घुबाया के बेटे दविंदर सिंह, जो हाल ही कैप्टन का आशीर्वाद हासिल कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं, उनके नाम का ऐलान भी नहीं हो पा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी का नाम भी कांग्रेस की दूसरी सूची से गायब था। तिवारी के लुधियाना ईस्ट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं, पर सांसद रवनीत सिंह बिट्टू उनके हक में नहीं हैं। पूर्व मंत्री अवतार सिंह हैनरी और संतोख सिंह चौधरी के नामों का भी अभी ऐलान नहीं हो पाया है। टिकटों के लिए चल रही मारामारी आखिर तक जारी रहेगी और बगावत का अंदेशा भी बना रहेगा। देखना यही है कि मुख्यमंत्री का पद हासिल करने के लिए अपनी आखिरी लड़ाई लड़ रहे कैप्टन टिकटों की घोषणा के बाद कैसे कांग्रेस को चुनावों के दौरान एकजुट रख पाते हैं? [@ वर्ष 2016: डोनाल्ड ट्रंप ने रचा इतिहास, विवादों के साथ बने US के 45वें राष्ट्रपति ]
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