बारां । नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक तथा भारत सरकार ने दावा किया था कि
पांच सौ व दो हजार की नई मुद्रा की नकल करना नामुमकिन है। नकली नोटों की
बाजार में बहुतायत के कारण जहां सरकार को नोटबंदी जैसे कडे कदम का फैसला
लेना पडा, उसके बाद भले ही आरबीआई यह दावा करती रही हो कि अब नकली नोट
बाजार में संभव नही है। सरकार व आरबीआई के दावों की धज्जियां बच्चों को
चूरन तथा लालीपाॅप बेचने वाली कंपनियां ही खुलकर उडाती दिखाई दे रही है।
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बारां व्यापार महासंघ अध्यक्ष, कैट के प्रदेश मंत्री ललितमोहन खंडेलवाल ने
बयान जारी कर बताया कि पिछले एक सप्ताह से शहर के बाजारों में चिल्ड्रन
बैंक आॅफ इंडिया के नाम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व लाल किले पर लहराता
हुआ तिरंगा, एक कोने में स्वच्छ भारत एक कदम स्वच्छता की ओर तथा अनेकों
भाषाओं में लिखे मुद्रण वाला पांच सौ का नकली नोट जो वैसे तो खेलने में
बच्चों के लिए है।
इस नोट की हूबहू डिजाइन तथा कागज की बेहतरी के कारण कई
व्यापारी व छोटे कारोबारी अचंभे में पडकर एक बार तो इस नोट को ले लेते है,
अगर सरसरी निगाह डाल दे तो इसके नकली की पहचान हो पाती है अन्यथा रात-बरात
या भीडभाड के दौरान किसी भी छोटे मोटे व्यापारी को यह नोट चलन के लिए दिया
जा सकता है।
ऐसे में व्यापारी को ठगे जाना मुमकिन है। खंडेलवाल ने जिला
प्रशासन एवं लीड बैंक अधिकारियों से मांग कर इस प्रकार के नोट छापने वालों
के खिलाफ कडी कार्यवाही कर तत्काल बाजार से इन नोटों को नष्ट कराने का
अभियान चलाना चाहिए ताकि व्यापारियों को होने वाली परेशानियों से बचाया जा
सके।
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