नई दिल्ली। जेटली के बजट में सबसे बड़ा सुधार क्या हो सकता है? उन पैराग्राफ पर गौर कीजिए जहां रेल बजट के आम बजट में विलय का जिक्र हो रहा हो, क्योंकि ताजादम सुधारों की सबसे बड़ी उम्मीद इसी विलय से जुड़ी हैं। इसके अलावा नयी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को लागू करने की तैयारियों के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में सेवा कर की दरों को बढ़ाकर 16-18 प्रतिशत के बीच करने का प्रस्ताव कर सकते हैं। वर्तमान दर 15 प्रतिशत है।
जेटली ने अपने पिछले बजट में सेवा कर की दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया था। विशेषज्ञों की राय में वह इस बार इसे 16 प्रतिशत तक ले जा सकते हैं। पर कुछ विशेषज्ञों की राय है कि विभिन्न सेवाओं को अलग अलग स्तर की दरों के साथ रखा जा सकता है। ऐसे में आम लोगों के इस्तेमाल की सेवाओं पर 12 प्रतिशत और बाकी पर 18 प्रतिशत की दर रखी जा सकती है। पिछले बजट में सेवा कर से 2.31 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान लगाया गया है। यह केंद्र सरकार के कुल 16.30 करोड़ रुपये के कर राजस्व के बजट अनुमान का 14 प्रतिशत है।
जेटली सेवाकर बढाते हैं तो यह उसकी ओर से तीसरी वद्धि होगी। पहले 1 जून, 2015 को उन्होंने सेवा कर की दर 12.36 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया था। इसके अलावा सभी सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत की दर से स्वच्छ भारत उपकर लगाया गया, जिससे 15 नवंबर, 2015 से सेवा कर का कुल कराधान 14.5 प्रतिशत हो गया था। पिछले बजट में इसमें 0.5 प्रतिशत का किसान कल्याण उपकर लगा दिया गया और इस तरह कर भार 15 प्रतिशत हो गया। सेवा कर बढऩे से फोन, हवाई सेवा, रेस्तरां और तमाम अन्य प्रकार की सेवाओं का उपभोग करने वालों पर कर का बोझ बढ़ जाएगा। जीएसटी आगामी एक जुलाई से लागू करने का लक्ष्य है। जीएसटी के लागू होने पर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से लगाए जाने वाले तमाम परोक्ष कर इसमें समाहित हो जाएंगे।
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