कानपुर। चुनाव की रणभेरी के बाद बहुजन समाज पार्टी ने प्रत्याशियों की दूसरी सूची शुक्रवार को जारी कर दी। जिसमें कानपुर नगर व देहात में डीएमबी गठजोड़ (दलित, मुस्लिम व ब्राह्मण) का सहारा लिया गया। तो वहीं ओबीसी वर्ग के उन जातियों को भी तरहीज दी गई है जो शुरूआत से पार्टी के प्रति निष्ठावान बने रहे। [@ यहां था पैदा होते ही बेटी को मार देने का रिवाज, अब बेटी ने ही किया नाम रोशन]
कानपुर नगर व कानपुर देहात जनपद की 14 विधानसभा सीटों में पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के खाते में सिर्फ एक ही सीट गई थी। जो कानपुर देहात की सिकंदरा रही जिसमें इन्द्रपाल सिंह ने भाजपा के देवेन्द्र सिंह भोले से नजदीकी वोट से जीते थे। ऐसे में बसपा की यह कोशिश है कि 2007 के इतिहास को दोहराया जाए। जिसके चलते पार्टी शुक्रवार को जो प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है उसमें वही पुराना फार्मूला अपनाया गया है। हालांकि जो सूची जारी की गई है उसमें ज्यादातर उन्ही लोगों को नाम दिया गया है जो पहले से प्रभारी घोषित थे और काफी दिनों से प्रचार में जुटे हैं। लेकिन इस बार ब्राह्मणों के पर जरूर कतरे गयें हैं पर अभी भी वह एक जाति के रूप में सबसे ज्यादा हैं। 14 विधानसभा सीटों में चार ब्राह्मण, दो मुस्लिम, चार दलित, तीन ओबीसी, एक ठाकुर पर विश्वास किया गया है। ऐसे में अब यह देखना होगा कि कानपुर में डीएमबी जोड़ बसपा को जीत दिला पाएगा। जिलाध्यक्ष प्रशांत दोहरे ने बताया कि सर्वजन हिताया सर्वजन सुखाय नीति के तहत सभी वर्गों पर विश्वास जताया गया है। जिससे यह तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की भारी बहुमत से जीत दर्ज होगी। भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी ने कहा कि बसपा के भ्रष्टाचार को अभी जनता भूल नहीं पाई है, चाहे वह कोई भी फार्मूला अपनाए जनता उन्हें सबक सिखाने का काम करेगी।
कोटा से ज्यादा दलित
कानपुर नगर व देहात में कुल तीन सीटे सुरक्षित है, जो कानपुर नगर की बिल्हौर, घाटमपुर और देहात की रसूलाबाद सीटें पर है। पर बसपा ने इनके अलावा सीसामऊ विधानसभा सीट से नंदलाल कोरी को उतार पार्टी ने यह साफ कर दिया कि दलित ही पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है।
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