टोंक। अंधे पिता और विक्षिप्त मां का सहारा बना छह साल का पृथ्वीराज पढाई के साथ अपना व अपने चार साल के मासूम भाई का जीवन संवारने के लिए जुझ रहा है। वह अपने 42 वर्षीय पिता नानगराम को घूमाता है व मां की सेवा करता है। जिन्दगी की पाठशाला में कदम रखते ही पृथ्वीराज ने अंधे पिता व मां के विक्षिप्त होने के बावजूद अपनी वृद्वा दादी गुलाब देवी के हाथों पलकर स्कूल जाना शुरू किया है। पिता बेटे के सर पर हाथ रखकर प्रतिदिन की दिनचर्या में सहयोग करते हैं तो पृथ्वीराज पिता की आंखे बना हुआ है उसके जीवन में बदनसीबी और गरीबी साथ-साथ चल रही हैं। पिता के भाई ने जमीन हडप ली है, अब विकलांग और वृद्वा पेंशन से घर का चुल्हा जलता है। विकलांग के बच्चों के लिए राज्य सरकार ने पालनहार योजना का प्रावधान कर रखा है लेकिन किसी ने आज तक इस योजना के बारे में इस परिवार को नहीं बताया। यूनिसेफ के सहयोग से चलाए जा रहे लाडली सम्मान अभियान का कारवां जब सोनवा गांव पहुंचा तो घर घर दस्तक के दौरान नानगराम के परिवार की कहानी सामने आई, अभियान के ग्राम मित्रों ने इस बारे में सरपंच को जानकारी दी इसके बाद उन्होंने बच्चों को पालनहार योजना का लाभ दिलाने के लिए ऑनलाइन कराने की कवायद प्रारम्भ की। हर महीने एक हजार व पांच सौ रूपये दोनों बच्चों को पढने के लिए मिलने की जानकारी सुनकर परिवार के सभी सदस्यों के आंखों में मानो खुशियां लौट आईं।
मंगलवार को कारवां दल के ग्राम मित्रों ने काबरा व ताखोली ग्राम पंचायत के सभी राजस्व गावों में ग्राम भ्रमण कर बाल विवाह के खिलाफ माहौल बनाते हुए सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की पात्रता रखने वाले व्यक्तियों को योजनाओं से जोडने के लिए 42 लोगों के आवेदन तैयार करवाए।
ताखोली के राउमा विद्यालय में सांप-सीढी लूडो जैसे रोचक खेल के माध्यम से बालिकाओं को बाल विवाह के दुष्परिणाम एवं षिक्षा के महत्व को बताया गया, इसे बालिकाओं ने बडे ध्यान न केवल खेला बल्कि इस संदेश को अपने जीवन में उतारने का संकल्प भी लिया।
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