मुंबई। सटोरियों पर विश्वास करें तो महाराष्ट्र स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने से काफी पीछे रहेगी। इनके मुताबिक, भाजपा बहुमत से 30 सीट पीछे रह जाएगी। बता दें कि सट्टेबाजों ने लोकसभा चुनाव के दौरान बिल्कुल सटीक अनुमान लगाया था कि भाजपा को बहुमत मिलेगा।
सटोरियों का मानना है कि भाजपा के स्टार कैंपेनर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार अभियान में देर से एंट्री की है और इसका परिणाम यह होगा कि 288 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा को बहुमत नहीं मिलेगा, उसे विधानसभा में सबसे बडी पार्टी के स्टेटस से ही संतोष करना पडेगा।
सट्टेबाज भाजपा को 110-115 सीटें मिलने पर दांव लगा रहे हैं। यह आंकडा हालांकि चार दूसरे प्रतिद्वंद्वी दलों के लिए जताए जा रहे अनुमान से काफी आगे है। बुकीज का मानना है कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना में से हर एक को 40-50 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 15-20 सीटों के साथ इस सियासी जंग में पांचवें स्थान पर रहेगी।
बुकीज का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री इस चुनाव प्रचार में पहले उतर गए होते तो भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल कर सकती थी। उनका कहना है कि मोदी स्टाइल में धुआंधार कैंपेनिंग से भी भाजपा का बहुमत के लिए जरूरी 145 सीटों का आंकडा पार करना संभव नहीं दिख रहा है, क्योंकि पीएम ने इस जंग में उतरने में देर कर दी। पीएम को महाराष्ट्र के साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भी प्रचार करना है। दोनों राज्यों में मतदान 15 अक्टूबर को होगा और मतगणना 19 अक्टूबर को होगी।
मुंबई के बुकीज का मानना है कि शिवसेना चुनाव बाद भाजपा के साथ जा सकती है, भले ही इस वक्त दोनों एक-दूसरे पर तीखे बयानों के तीर चला रही हों। बुकीज का हालांकि कहना है कि भाजपा अगर 145 के आंकडे के करीब पहुंच गई तो वह निर्दलीयों का साथ ले सकती है।
दिलचस्प बात यह है कि बुकीज को शिकायत है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता उन पर दबाव डाल रहे हैं कि वे ऎसे अनुमान जताएं जो उनकी पाटी को बढत दिखाने वाले हों। लोकसभा चुनाव में मुंबई के बुकीज के सटीक अनुमान के बाद उन पर पार्टियों का भरोसा बढा है। चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी करने वाली ज्यादातर एजेंसियों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत से कम सीटें मिलने का अनुमान दिया था।
बुकीज का अनुमान है कि कांग्रेस और राकांपा भले ही अलग-अलग हो गई हों, उन्हें सत्ता विरोधी रूझान का सामना करना ही पडेगा और इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय के मतों में बिखराव से भी उनकी दिक्कत बढेगी। बुकीज का कहना है कि चुनाव बाद सरकार बनाने में इन दोनों ही दलों की कोई भूमिका नहीं रह जाएगी। उनका अनुमान है कि अकेले चुनाव लडने का फायदा शिवसेना को भी नहीं मिलने वाला है।
अमृतपाल अब भी फरार, उसके चार साथियों पर लगा एनएसए
भारत में खालिस्तान समर्थकों के ट्विटर अकाउंट ब्लॉक
पेपर खराब होने पर दिल्ली की दसवीं कक्षा की छात्रा ने गढ़ी छेड़ाछड़ की कहानी
Daily Horoscope