इन दस्तावेजों से बीजेपी यह साबित करना चाहती है कि कांगेे्रस खैरात बांटने
में लगी हुई थी और मोदी सरकार ने इनकी वसूली का अभियान चलाया। बीजेपी ने
जो दस्तावेज पेश हैं उनमें 2005 से 2013 के दौरान विभिन्न कॉर्पोरेट घरानों
को जो 36.5 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया गया था,
उसे मनमोहन सिंह की
अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दौरान माफ कर दिया गया था। साथ ही बीजेपी ने उन
आरोपों का भी खंडन किया है कि जब बैंक विजय माल्या से लोन रिकवरी की
प्रक्रिया शुरू करने वाले थे तब मोदी सरकार माल्या पर काफी नरम थी।
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