कानपुर। भाजपा महासचिव जेपी नड्डा ने ज्यों ही यूपी विधानसभा प्रत्याशियों की घोषणा की तो कानपुर में सिटिंग सीटों पर दावेदारी कर रहे नेताओं का सपना चकनाचूर हो गया। यहां के चारों सिटिंग विधायकों पर एक बार फिर पार्टी ने विश्वास जताया है। [@ Punjab election- हमारा किसी से मुकाबला नहीं, मैदान में हम ही आगे]
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को उत्तराखण्ड सहित उत्तर प्रदेश की पहली सूची जारी कर दी। पार्टी महासचिव व केन्द्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने उत्तर प्रदेश के 49 सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा की। पहली सूची में सिटिंग सीटों पर ही फोकस रखा गया है।
सूची के मुताबिक कानपुर के चारों सिटिंग विधायकों पर एक बार फिर विश्वास किया गया है। इसके साथ ही इनके विधानसभा क्षेत्र में भी बदलाव नहीं किया गया। गोविन्द नगर से सत्यदेव पचौरी, आर्य नगर से सलिल विश्नोई, कैंट से रघुनंदन सिंह भदौरिया व महाराजपुर से सतीश महाना को घोषित किया गया।
बताते चलें कि इन सभी सीटों पर कई दावेदार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक उड़ान भर रहे थे। लेकिन पार्टी ने सिटिंग विधायकों पर विश्वास कर ऐसे दावेदारों के लिए पूरी तरह से फिलहाल रास्ता बंद कर दिया है।
संगठन नहीं बना रोड़ा
तीन बार से विधायक सलिल विश्नोई को पिछले वर्ष संगठन में भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई और उन्हे प्रदेश महामंत्री बनाया गया। जिसके बाद से यह कयास लगाया जा रहा था कि संगठन की जिम्मेदारी होने के चलते उन्हें इस बार विधानसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा। लेकिन संगठन रोड़ा नहीं बन सका और उन्हे एक बार फिर आर्य नगर से प्रत्याशी घोषित किया गया।
उम्र को किया दरकिनार
कानपुर में पहली बार गोविन्द नगर विधानसभा में कमल खिला था, पर लगातार दो विधानसभा कार्यकाल में पार्टी को हार मिली। जिसके बाद 2012 में सत्यदेव पचौरी पर विश्वास किया गया और उस विश्वास पर कायम हुए। लेकिन उनकी उम्र अधिक होने के चलते इस बार कई दावेदार उम्मीद लगाए रहे, पर उम्र को दरकिनार कर पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।
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