मिल गई वजह
बवाल से भाजपा की थू थू शुरू हुई तो केशव को भी आधिकारिक तौर पर भाजपा-अद गठबंधन बचाने व सुरेन्द्र का टिकट काटने का मौका मिल गया। आगे सुरेन्द्र का बागी होकर कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होना, लोगों की सिम्पथी लेना सब स्क्रिप्ट का ही हिस्सा था।
बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम में अभी भी सुरेन्द्र के साथ समझौता करना जमुना के लिये मजबूरी होगी। क्योंकि सुरेन्द्र साथ में प्रचार को न निकले तो कमल पर वोट गिरेंगे और जीत की संभावना बिखरेगी।
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