बीकानेर। लघु पत्रिकाएं सृजनात्मक कौशल बढ़ाने में सहायक होती हैं। ये युवा रचनाकारों की प्रतिभा को निखार कर उनके लेखन में परिपक्वता लाती हैं। देश की सभी भाषाओं के लगभग सभी लेखकों ने अपना लेखन लघु पत्रिकाओं से ही शुरू किया है। उनकी लेखन क्षमता की जानकारी देश के लोगों तक पहुंचाने में लघु पत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लघु पत्रिकाएं अपने पाठकों को संस्कारित करने का कार्य भी करती आई हैं। लघु पत्रिकाओं ने ही नई कहानी, नई कविता जैसी विधाओं को बढ़ाया है।
ये विचार कादम्बिनी क्लब द्वारा स्थानीय होटल मरुधर हेरिटेज में ‘लघु पत्रिकाओं का साहित्य विकास में अवदान’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी कि अध्यक्षता करते हुवे कवि, कथाकार, चिंतक और संपादक भवानी शंकर व्यास विनोद ने प्रकट किए। मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि कवि कथाकार और हिंदी के प्रोफेसर डॉ. मदन सैनी ने कहा कि यद्यपि लघु पत्रिकाएं निकलतीं और बंद होती रहती हैं, लेकिन इनका भविष्य कभी भी अंधकारमय नहीं होता। इनको साहित्य के प्रति समर्पित लोग प्रकाशित करते ही रहते हैं। लघु पत्रिकाओं में नए रचनाकारों को स्थान मिलता है। इससे उनको सीखने और अपनी रचनाओं को निखारने का अवसर मिलता है।
गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए कादम्बिनी क्लब के संयोजक प्रो. (डॉ) अजय जोशी ने कहा कि लघु पत्रिकाएं नए और उदीयमान साहित्यकारों को मंच प्रदान करती है। ये व्यावसायिकता से दूर रह कर साहित्य सृजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती रही हैं और भविष्य में भी करती रहेंगी।
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