बिजनौर। आम तौर पर शांत माने जाने वाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बिजनौर जिला आतंकियों की पनाहगाह बनता जा रहा है। एनआईए के डिप्टी एसपी की हत्या से पहले 12 सितंबर 2014 को जाटान ब्लॉस्ट से बिजनौर में रहकर सिमी के भगोडे आतंकियों के देश को हिलाने की साजिश रचने का खुलासा हुआ था। इस घटना में बम बनाते के दौरान विस्फोट हो गया था। इस विस्फोट में इनमें से एक आतंकी महबूब झुलस गया था और साथी आतंकी झुलसे आतंकी को लेकर पुलिस व एटीएस की नाकेबंदी को धता बताकर फरार होने में कामयाब हो गए थे। बाद में दो आतंकी तेलंगाना में पुलिस मुठभेड में मारे गए थे, जबकि चार अन्य को उडीसा में गिरफ्तार किया जा चुका है। इसकी जांच कर रही एनआईए ने इन सबके सिरों पर दस-दस लाख रुपये का ईनाम घोषित कर रखा था।
जाटान ब्लास्ट के बाद डाकघर चौराहे पर लगे सीसी टीवी कैमरे की मदद से उनकी शिनाख्त अक्टूबर 2013 में खंडवा जेल से फरार सिमी आतंकी महबूब गुड्डू उर्फ मलिक पुत्र स्वर्गीय अब्दुल हकीम, असलम उर्फ मोहम्मद असलम उर्फ सोहेब उर्फ बिलाल उर्फ संतोष पुत्र मोहम्मद अय्यूब, अमजद पुत्र रमजान खान, जाकिर हुसैन सादिक उर्फ विक्की डॉन उर्फ विनय रुमार पुत्र बदरुल हुसैन तथा एजाजुद्दीन उर्फ एजाज उर्फ रियाज उर्फ राहुल पुत्र अजीजुद्दीन के तौर पर हुई थी। इनका छठा साथी मोहम्मद सलिक उर्फ सल्लू बताया गया। ये सभी बिजनौर पुलिस व एटीएस और एसटीएफ को चकमा देकर फरार होने में कामयाब हो गए थे। ब्लॉस्ट में महबूब बुरी तरह झुलस गया था।
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