वाराणसी। दीपावली यानि कार्तिक अमावस्या के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को भाई बहनों को समर्पित पर्व भैया-दूज मनाया जाता है। इसे यमद्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज के दिन बहन अपने भाईयों की लंबी उम्र और खुशी की कामना करती हैं। भारतीय लोककथाओं के अनुसार यम-द्वितीया या भैया-दूज के दिन खुद यमराज धरती पर अपनी बहन यमी (यमुना) से मिलने आते हैं। यम को काल और धर्मराज भी कहा जाता है और वे मृत्यु व न्याय के देवता हैं। इसी दिन चित्रगुप्त भगवान का पूजन किया जाता है ,कलम- दवात या अन्य लेखनी का पूजन किया जाता है जिसका प्रयोग वर्ष भर किया जाता है। कायस्थ समुदाय चित्रगुप्त भगवान की पूजा बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ करते हैं ।
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