मोहाली।
पंजाब पुलिस से सवा 42 साल की नौकरी के बाद सेवामुक्त हुए एएसआई राजीव
शर्मा ने पंजाब सरकार से मांग करते हुए कहा कि कई सालो से चला आ रहा बी वन
टैस्ट खत्म किया जाए। मंगलवार को मोहाली प्रेस क्लब फेज 4 में पत्रकार
वार्ता में शर्मा ने कहा कि यह टैस्ट कर्मचारियो को मानसिक प्रताडऩा देने
वाला है।
यह बड़ी हैरान करने वाली बात है कि अगर पुलिस के सबसे निचले स्तर
के रैंक सिपाही से हवलदार बनना हो तो यह टेस्ट देना पड़ता है, मगर इसके बाद
प्रमोशन के अगले 9 रैंक तक ऐसा कोई भी टेस्ट नहीं है। सीनियरता के आधार पर
एएसआई से लेकर डीजीपी तक बिना टेस्ट दिए बना जा सकता है। मगर सिपाही से
हवलदार बनने के लिए ही सिर्फ यह टैस्ट क्यों। इसे भी खत्म किया जाना चाहिए। इंस्पेक्टर रैंक को सेकिंड गजटिड आफीसर रैंक घोषित किया जाना
चाहिए। क्योंकि ऐसे कर्मी जो नियम का पालन करने में ही लगे रहते है कि
अक्सर जायज उम्मीदवार होने के बावजूद तरक्की नहीं ले पाते,जो उनको काफी
खलता है।
वह भी अपने नौकरी के दौरान सिर्फ सिपाही से हवलदार ही बन पाए।
रिटायर्ड होने के वक्त उनको एएसआई का रैंक दे दिया गया, जबकि उनके जूनियर आज
के समय में एसएसपी रैंक पर है। कर्मचारियो के हित में 1860 ब्रिटिश रुल्स
के समय से चले आ रहे पंजाब पुलिस एक्ट मेें बड़े स्तर पर संशोधन की जरुरत
है। शर्मा ने बताया कि ऐसे ही जायज मांगो की पूर्ति को लेकर उन्होंने दो
साल पहले एसएसपी मोहाली को पत्र लिखकर यह इजाजत मांगी थी कि निचले स्तर के
पुलिस कर्मी जिनको एनजीओ कहा जाता है की एसोसिएशन बनाए जाने के लिए क्या
नियम है,इस बारे में बताया जाए,मगर आज तक उनको इस बारे में एक बार भी जवाब
ना दिया गया। यह पत्र उनके आफिस रिकार्ड में है। उन्होंने कहा कि अगर
पीपीएस,आईपीएस अधिकारियो की एसोसिएशन हो सकती है तो पुलिसकर्मियों की क्यों नहीं।
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