जब देश गुलाम था तो अँगरेज़ देशवासियों के ऊपर घनघोर जुल्म ढाते थे।देशवासियों पर अंग्रेजों के जुल्म की कहानियाँ सुन सुनकर बचपन में बन्धु सिंह का खून खौल उठता था। जब बंधू सिंह बड़े हुए तो उनके दिल में भी अंग्रेजो के खिलाफ आग जलने लगी। जब भी कोई अंग्रेज उस जंगल से गुजरता, बंधू सिंह उसको मार कर उसका सर काटकर देवी मां के चरणों में समर्पित कर देते ।पहले तो अंग्रेज यही समझते रहे कि उनके सिपाही जंगल में जाकर लापता हो जा रहे हैं, लेकिन जब अंग्रेजों को जानकारी हुई तो अंग्रेजों ने उनकी तलाश में जंगल का कोना-कोना छान मारा ।लेकिन बंधू सिंह को पकड़ नहीं पाए। एक मुखबिर के चलते बंधू सिंह अंग्रेजों के हत्थे चढ़ गये।
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