उमाकांत त्रिपाठी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का महासंग्राम शुरू हो चुका है। सभी सियासी पार्टियों के राजनेता न केवल अपने भाषणों से वोटरों को लुभाने में लगे हैं बल्कि अपने नारों और गानों से वोटरों को आकर्षित करने और विरोधियों पर निशाना साधने का भी काम कर रहे हैं। एक बात तो तय है कि नारों और गानों का चुनाव में बहुत बड़ा महत्व है।
चुनावी नारे और गाने सिर्फ प्रचार करने और मतदाताओं को ही लुभाने के लिए नहीं होते। इन चुनावी नारों से सियासी पार्टियां चुनाव जीत भी जाती हैं और हार भी जाती हैं। चुनाव आते ही सियासी पार्टियां रचनात्मक शब्दों के समूह से मतदाताओं के दिलो-दिमाग को छू लेने वाले नारों का सृजन करते हैं।
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