जोधपुर। नाबालिग के साथ यौन दुराचार के आरोप में फंसे आसाराम की उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फिर गया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम की ओर से दायर की गई वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें आठ गवाहों को रिकॉल करने की गुहार नामंजूर करने के आदेश को चुनौती दी गई है। उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायाधीश पी.के. लोहरा की अदालत ने बुधवार को याचिका पर फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी। जस्टिस लोहरा की अदालत में सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता शिवकुमार व्यास व विक्रमसिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा था। आसाराम की ओर से सेशन न्यायालय (जोधपुर जिला) ने 21 सितम्बर, 2015 को पारित आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें आठ गवाहों को रिकॉल करने का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था। आसाराम ने पीडि़ता और उसकी मां व पिता के साथ ही दिल्ली थाने की एएसआई पुष्पलता, कांस्टेबल नरपालसिंह, एनजीओ की किरण झा, गवाह राहुल सचान को रिकॉल करने की गुहार की थी, लेकिन अधीनस्थ न्यायालय में सभी के बयान हो चुके हैं। इसलिए वहां इसे खारिज कर दिया गया। उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट में पीडि़ता की ओर से अधिवक्ता पी.सी. सोलंकी ने पैरवी करते हुए कहा था कि सभी गवाहों से जिरह करने के लिए बचाव पक्ष को पूरा मौका मिला था। ऐसे में गवाहों को रिकॉल नहीं किया जाए। सभी पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस लोहरा ने विस्तृत फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी है।
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