कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 36 घंटे बाद आखिरकार राज्य
सचिवालय से बाहर निकलीं। राज्य सरकार को कथित तौर पर अंधेरे में रखकर राज्य
में सेना की तैनाती के खिलाफ वह कल से ही सचिवालय में थीं।
सचिवालय से बाहर निकलने से पहले उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में धमकाते हुए
कहा कि अगर सेना को नहीं हटाया गया, तो वह कानूनी विकल्प पर विचार करेंगी। उन्होंने
कहा, हमने इस तरह की उद्दंडता (केंद्र द्वारा) नहीं देखी। यदि सेना को
वापस नहीं बुलाया गया, तो हम कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे।
ममता
ने कहा कि उनका सेना के लिए गहरा सम्मान है, लेकिन उस तरीके को लेकर दुखी
हैं, जिसमें उनका इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध की भावना के लिए किया जा
रहा है।
इससे पहले की खबर के अनुसार...
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल से सचिवालय में डटी हुई है। हांलांकि राज्य सचिवालय के पास स्थित टोल प्लाजा से आर्मी को हटा लिया गया है लेकिन ममता बनर्जी अभी भी सचिवालय में डेरा जमाए हुए है। गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार को सूचित किए बिना ही राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) संख्या दो पर पलसित और दनकुनी के दो टोल प्लाजा पर सेना तैनात की गई है।
ममता बनर्जी ने सेना की इस तैनाती को असंवैधानिक बताया है। सेना की तैनाती का विरोध करते हुए ममता बनर्जी ने कल सचिवालय में डेरा डाल लिया था। ममता बनर्जी का कहना था कि जब तक टोल प्लाजा से सेना नहीं हटाई जाती तब तक वह वहां से नहीं हटेगी। हांलांकि रात को टोल प्लाजा से सेना हटा ली गई लेकिन ममता बनर्जी शुक्रवार सुबह तक सचिवालय में ही डटी रही।
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