प्रतापगढ। शहर से गावों के लिए चलने वाले निजी वाहनों में लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। इनमें न केवल कामकाजी लोग बल्कि स्कूली विद्यार्थी भी शामिल हैं। माकूल परिवहन व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को ढसा-ढस भरे वाहनों में लटक कर अपने गंतव्य तक जाना पड़ रहा है। निजी वाहन चालक बेखौफ होकर क्षमता से अधिक सवारियां लेकर वाहन दौड़ा रहे हैं। ऐसे में हर समय दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।
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यात्रियों की जान पर भारी मुनाफे का लालच
शहर से आस-पास क्षेत्रों से प्रतिदिन काफी तादात में लोगों का आवगमन होता है। दर्जनों गावों के लिए रोङवेज की बसों का संचालन नही होने के कारण लोगों को निजी वाहनों मे सफर करना पड़ता है। लोगों की इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए वाहन चालक अधिक मुनाफे के लालच में श्रमता से अधिक ढो रहे हैं। इन वाहनों में लोगो को लटक कर सफर करना पड़ता है। बारह सीटर क्षमता वाले वाहन मे 30 से 40 लोग आमतौर पर सवार दिखे जा सकते हैं। इन पर कार्रवाई नही होने के कारण वाहन चालकों के हौसले बुलंद होते जा रहे है।
दुर्घटना का खतरा
औवरलोड़ वाहनों से आए प्रदेश व जिले में कई दुर्घटनाएं होने के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। आज भी ओवरलोड़ वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं। न वाहन मालिको को और न ही प्रशासन को इसकी चिंता है। यात्री अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए जान हथेली पर लेकर सफर करने को मजबूर बने हुए हैं।
इन क्षेत्रों में जाते हैं ठसाठस भरे वाहन
प्रतापगढ़ से सुहागपुरा सेमलिया कचोटिया, पांच ईमली, रतनपुरिया, अचलपुर, देवगढ़, चिकलाड़, चनियाखेड़ी, पल्थान झासड़ी, खेरोट, भुंवासिया, गादौला आदि गांवों मे जाने के लिए छोटे वाहनों का संचालन हो रहा है। इन मार्गों मे सबसे ज्यादा ओवरलोड़ वाहन सुहागपुरा व देवगढ़ रूट पर चलते हैं। ग्रामीणो ने ओवरलोड़ वाहनों पर कार्रवाई की मांग करते हुए बताया कि इन रूटों पर अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है।
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