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निजी स्कूलों की मनमानी आई सामने, सरकार को नहीं उपलब्ध करा रहें जानकारी

Arbitrary is come of private school, not providing the information of government - Hisar News in Hindi

हिसार। प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा हर शैक्षिक सत्र में फीस बढ़ाने को लेकर अभिभावकों के साथ तनातनी रहती है। विद्यार्थियों के माता-पिता अभिभावक मंच के साथ तनातनी भी रहती है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने हर स्कूल से शैक्षिक सत्र में फीस बढ़ाने या स्थाई रखने को लेकर फार्म-6 भरवाती है। हैरत की बात है कि प्रदेश के करीबन 6700 प्राइवेट स्कूलों में से 48 प्रतिशत स्कूल संचालकों ने ही फार्म-6 भरकर भेजा है। सूत्रों की मानें तो इन 48 प्रतिशत स्कूल संचालकों ने फीस में 5 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि का ब्यौरा दिया है। स्कूल संचालकों ने फीस वृद्धि का मुख्य कारण विद्यार्थियों को स्कूल प्रांगण में आधुनिक सुविधाओं को उपलब्ध करवाने को बताया है।
दूसरी तरफ 52 प्रतिशत के करीब ऐसे स्कूल भी हैं, जिन्होंने फार्म-6 को अभी तक भरकर नहीं भेजा है। सरकार की तरफ से फार्म-6 को भरने का तारीख गुजर चुकी है, मगर इन 52 प्रतिशत स्कूल संचालकों द्वारा फाम-6 नहीं भरकर भेजने की स्थिति में सरकार को भी इन स्कूल संचालकों द्वारा फीस बढ़ाने या न बढ़ाने और फीस कितने प्रतिशत बढ़ाने को लेकर कोई जानकारी नहीं मिल पाएगी।
दिलचस्प बात यह भी है कि प्रदेश में 822 ऐसे प्राइवेट स्कूल भी हैं, जो गैर-मान्यता प्राप्त हैं, मगर वह प्रदेश में अभी चल रहे हैं। शिक्षा विभाग ने इन गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की भी सूची तैयार की है, मगर सूत्रों की मानें तो इन स्कूल संचालकों द्वारा बच्चों से कितनी फीस ली जा रही है और कितनी नहीं, इसका पूरा ब्यौरा शिक्षा विभाग के पास भी नहीं है। अब यदि ब्यौरा न देने वाले मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का जोड़ करें तो वह संख्या करीबन 4250 की है। आईबार फीस वृद्धि को लेकर अभिभावकों और स्कूल संचालकों के बीच रोष की स्थिति को खत्म करने में शिक्षा विभाग कितना असंवेदनशील है कि विभाग ने उन फार्म-6 भरने वाले स्कूल संचालकों की सूची तो विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी, मगर जिन स्कूल संचालकों ने फार्म-6 नहीं भरा, उनकी सूची अभी तक अपलोड नहीं की है।
पारदर्शिता पर महत्वपूर्ण सवाल
सरकार द्वारा हर विभाग और कार्यप्रणाली को ऑनलाइन कर रही है। तर्क दिया जा रहा है कि ऑनलाइन प्रणाली से जहां भ्रष्टाचार खत्म होगा, वहीं आमजन हर कार्यप्रणाली को पारदर्शी रूप में देख सकेगा। शिक्षा विभाग ने भी इस कड़ी में हाल ही में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की तबादला नीति को ऑनलाइन किया था। दिलचस्प बात है निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी करने में सरकार और शिक्षा विभाग अभी भी कतरा रहा है। इसका एक ताजा उदाहरण यह है कि निजी स्कूल संचालकों से फार्म-6 तो भरवाया गया और प्रदेश के 3175 स्कूल संचालकों ने यह फार्म-6 भर भी दिया, मगर इस फार्म-6 को भरने के बाद किस स्कूल ने कितनी फीस कोबढ़ानेऔर किस उद्देश्य के साथ बढ़ाने का तर्क दिया है, इस फार्म को विभाग की तरफ से कोई पारदर्शी तरीके से नहीं अपनाया गया।
3175 स्कूलों की सूची वेबसाइट पर
शिक्षा विभाग के निर्देशों पर प्रदेश के 3175 निजी स्कूल संचालकों ने फार्म-6 भरकर दे दिया, जिसमें उन्हांने आगामी शैक्षिक सत्र में विद्यार्थियों को क्या-क्या सुविधाएं देने और इन सुविधाओं को उपलब्ध करवाने की एवज में कितनी फीस बढ़ाई जा सकती है, इसके बारे में लिखा है। विभाग की सूची पर अपलोड की गई इस सूची में भिवानी जिले के सबसे ज्यादा 328 स्कूल संचालकों ने फार्म-6 भरा है, जबकि इस जिले में प्राइवेट स्कूलों की संख्या 500 के करीब है। वहीं पंचकुला में केवल 43 स्कूल संचालकों ने ही फार्म-6 भरा, जबकि यहां स्कूलों की संख्या 120 के करीब है। इस कड़ी में यदि हिसार की बात करें तो हिसार के 251 स्कूल संचालकों ने फार्म-6 को भरकर विभाग को भेजा है, जबकि जिले में प्राइवेट स्कूलों की संख्या करीबन 200 की है। इसके साथ-साथ शिक्षा विभाग ने हाल ही में सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों कोभी सरकारी स्कूल की तरह ही अपने-अपने स्कूल के विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन नंबर, आधार कार्ड नंबर सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियांदर्ज करने के निर्देश दिए थे। विभाग ने ये सभी जानकारियां 31 दिसम्बर तक पूरी कर अपलोड करने को कहा था।

[@ खट्टी मीठी यादें छोड़ गया 2016 ]

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Web Title-Arbitrary is come of private school, not providing the information of government
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