दरअसल दो जनवरी को लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर अडियल रूख
अपनाए बीसीसीआई के खिलाफ तीखे तेवर अपनाते हुए कोर्ट ने ठाकुर को पद से
हटाने के साथ-साथ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। उनसे पूछा गया है कि
उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने
कहा था कि अगर आरोप साबित हुए तो ठाकुर को जेल भी जाना पड सकता है।
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अनुराग ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी के अध्यक्ष शशांक मनोहर को कहा
था कि वह (आईसीसी) ऎसा पत्र जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढा पैनल
को इजाजत दी जाती है तो इसे बोर्ड के काम में सरकारी दखलअंदाजी माना जाएगा
और बीसीसीआई की सदस्यता रद्द भी हो सकती है। हालांकि ठाकुर ने इस आरोप से
इनकार किया था।
बता दें, क्रिकेट प्रशासन में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढा
समिति की कुछ सिफारिशों को अपनाने को लेकर बीसीसीआई अडियल रूख अपनाए हुए
था। इनमें अधिकारियों की उम्र, कार्यकाल, एक राज्य एक वोट जैसी सिफारिशें
शामिल हैं।
कोर्ट ने एक अहम फैसले में बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को
उनके पद से हटाने का फैसला दिया था। कोर्ट ने सचिव अजय शिर्के को भी उनके
पद से हटा दिया था और चार प्रशासक नियुक्त किए थे। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर
की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में अनुराग ठाकुर से पूछा था कि आखिर
उनके खिलाफ एक्शन क्यों न लिया जाए।
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