पाली। जिले में लंबे समय से किराए के मकान या फिर खुले आसमान के नीचे संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केंद्रों की दुर्दशा सुधारने किए जा रहे प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में कुल 1806 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें से 442 केंद्र जहां किराए पर चल रहे हैं, वहीं 310 केंद्र जर्जर हो जाने के कारण खुले आसमान के नीचे संचालित हो रहे हैं। यही नहीं 30 से ज्यादा स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र अभी भवन के अभाव में शुरू ही नहीं हुए हैं। बावजूद इसके महज 39 नए आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण व 210 जर्जर भवनों का मरम्मत कराया जाना है। जिम्मेदारों के इस तरह की लापरवाही से सैकड़ा भर से ज्यादा नन्हों को पढऩे के लिए छत तक नसीब नहीं हो रही। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में जर्जर 310 आंगनबाड़ी केंद्रों की तुलना में कुल 210 केंद्र मरम्मत के लिए स्वीकृत किए गए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से इसके लिए कुल 163.700 लाख का बजट जिला परिषद को अलॉट किया गया है। इन भवनों को मार्च 2017 तक मरम्मत कराना है, हालांकि अभी भी मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस बारे में उपनिदेशक, समेकित महिला एवं बाल विकास सेवाएं शांता मेघवाल ने कहा कि आंगनबाड़ी भवनों का अभाव है। बजट घोषणा में 47 भवनों के निर्माण की बात हुई थी, जिला परिषद द्वारा अभी तक इसे पूर्ण नहीं कराया गया है। मरम्मत के लिए भी जिला परिषद को बजट अलॉट किया गया है। हो सकता है ये मार्च तक पूर्ण कर लिया जाए। बिना भवन वाले केंद्रों को अभी एकीकृत हुए स्कूल भवनों में शिफ्ट करने की कार्यवाही चल रही है। [@ यहां था पैदा होते ही बेटी को मार देने का रिवाज, अब बेटी ने ही किया नाम रोशन]
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