गौरतलब है बीते दो सालों में ऎसी घटनाएं
हुई हैं जिनसे भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर काफी नुकसान पहुंचा है।
साल 2016 में गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले के उना कस्बे में 4 दलितों को एक
एसयूवी कार से बांधकर कई लोगों ने पीटा था। इस वारदात के बाद गुस्साए
दलितों ने राज्य में बडे स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए थे। ऎसी ही एक वारदात
उत्तर प्रदेश में भी हुई, जिसमें बिसाहडा गांव के अखलाक को गौमास खाने के
शक पर उसकी घर में घुस कर हत्या कर दी गई थी।
इसके अलावा नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना कई एनजीओ के लाइसेंस रद्द करने और
एफसीआरए कानून (इसके तहत विदेशी फंडिंग पर नजर रखी जाती है) में बदलाव
करने को लेकर भी होती रही है।
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