अमेठी।
दावे कुछ भी हों पर हकीकत यहीं हैं कि जिले में पशु तस्करी का काला कारोबार धड़ल्ले
से हो रहा है। सबकुछ जानते हुए भी पुलिस इस पर रोक लगाने में नाकाम है। नये एसपी
के तेवर कितने भी सख्त क्यो न हो लेकिन यहां पुलिस से पुरानी यारी का फायदा उठाकर
तस्कर गैर जनपदों में अपना कारोबार संचालित कर रहे हैं। कई बार पुलिस ने दवाब में
वाहनों को पकड़ा है, लेकिन कभी भी पशु तस्कर उनके हाथ नहीं लगे। जो खाकी की
कार्यशैली को सवालों के घेरे में लाने के लिए काफी है।
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जिले
में मोहनगंज, मुसाफिरखाना, संग्रामपुर, मुंशीगंज, बाजारशुकुल, जायस व फुरसतगंज
मुफीद इस कारोबार का अडडा बना है। यहां पहले भी भारी मात्रा में पशुओं की बरामदगी
हो चुकी है। अभी हाल-फिलहाल में यह दूसरा मौका है जब पशुओं से लदा वाहन दुर्घटनाग्रस्त
हुआ था।
जिले
के आधा दर्जन थाना क्षेत्रों में तो पशु तस्करी ने कारोबार का रूप पुलिस की शह पर
अख्तियार कर रखा है। जब बात नहीं बनती या फिर आला हाकिम का दबाव बढ़ता हैं तो
पुलिस को एक-दो पशु तो मिल जाते है, लेकिन अभी तक कभी भी जिले की पुलिस पशु तस्करी
का कारोबार करने वालों को रंगे हाथ नहीं पकड़ सकी है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी
ही है कि अगर पुलिस तस्करी के लिए जाने वाले पशुओं को बरामद कर लेती है तो उसके
हाथ आखिर पशुओं का काला कारोबार करने वाले लोग क्यों नहीं लगते। पुलिस अधीक्षक
अनीस अहमद अंसारी ने कहा कि जिले में अगर कहीं भी पशु तस्करी जैसी बात भी सुनने
में आई तो संबधित थानेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।
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