असगर नकी, अमेठी।
गांधी-नेहरु परिवार के सियासी इलाके एवं राजघराने से ताल्लुक रखने के चलते सूबे से
लेकर देश तक में अमेठी चर्चाओं में रही है। ये बात दिगर है कि बुनियादी पहलू विकास
के मुद्दे पर अमेठी आज भी सिफर है, लेकिन राजघराने से आए दो चेहरों ने अमेठी को एक
बार फिर चर्चा का केन्द्र बना दिया। लेकिन शुक्रवार को गैंगरेप के एक मामले में
यहां के सपा उम्मीदवार और मंत्री के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की एफआईआर के आदेश के बाद
कलंकित भाव में ही सही अमेठी हर तरफ सुर्ख़ियों में आ गई।
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अब तक इन
वजहों से हलचल का केंद्र बिंदु थी अमेठी
गौरतलब हो कि राजघराने के सर्वे सर्वा डॉ. संजय सिंह जो कांग्रेस से राज्यसभा
सदस्य हैं साथ ही यूपी कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष भी हैं। उनकी दोनों
पत्नियां एक दूसरे के सामने राजनैतिक मोर्चा संभाले हुए हैं। जहां पहली पत्नी
गरिमा सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं वही कांग्रेस के टिकट पर दूसरी
पत्नी रानी डॉ. अमिता सिंह उन्हें खुली चुनौती दे रही हैं। ऐसे में अमेठी जबर्दस्त
सियासी हलचल का केंद्र बिंदु बनी हुई है।
विपक्षी
पार्टी को कानून व्यवस्था पर अखिलेश को घेरने का मिला मुद्दा
सियासी गलियारों से लेकर देश के राजनैतिक पटल पर शुक्रवार को अमेठी कलंकित भाव के
साथ सुर्ख़ियों में आ गई। दरअसल इसका मूल कारण बने मुलायम के दुलारे और सपा
प्रत्याशी मंत्री गायत्री प्रजापति। दरअसल चित्रकूट की एक सोशल वर्कर ने मंत्री और
उनके गुर्गों द्वारा स्वयं उसके और उसकी नाबालिग लड़की के साथ यौन शोषण का आरोप
लगाया था। जिसमे थाने से लेकर स्थानीय स्तर तक की कोर्ट में उसकी सुनवाई नहीं हुई।
थक हार कर पीडित सोशल वर्कर महिला ने देश की सबसे बड़ी अदालत की शरण ली। शुक्रवार
को उच्च अदालत ने एफआईआर लाज करने का आदेश दिया।
ये अलग बात है कि मंत्री पर इसका
असर नहीं पड़ा और वो क्षेत्र में प्रचार करते रहे लेकिन कहीं न कहीं अमेठी का नाम
बदनाम जरूर हुआ। साथ ही साथ हमेशा से कानून व्यवस्था को लेकर विरोधी पार्टियों के
निशाने पर रहने वाली सरकार की किरकिरी भी हुई और अब बचे हुए चुनावी समर में विपक्ष
को सरकार के खिलाफ अहम मुद्दा मिल गया। अब देखना यह हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव अब क्या निर्णय लेते हैं?
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