जयपुर। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि पिछले 20 साल तो क्या, आजादी के बाद से कभी भी राजस्थान को केंद्रीय सरकार में मजबूत हिस्सेदारी नहीं मिली। वर्तमान में तो राज्य से सभी 25 लोकसभा सांसद केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा से ही हैं। फिर भी महत्वपूर्ण पद पर कोई भी नहीं है। हमारे राज्य से केंद्रीय मंत्री तो बहुत रहे, मगर टॉप-5 कैबिनेट पदों तक सिर्फ 2 ही राजनेता पहुंच सके हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है। लोकतांत्रिक ढांचे की बात करें तो 25 लोकसभा व 10 राज्यसभा सांसद, 200 विधायक हैं। इसके बावजूद केंद्रीय सत्ता में राजस्थान की हिस्सेदारी बहुत कम रही है। यहां के जनप्रतिनिधि केंद्र सरकार का हिस्सा तो रहे हैं, मगर केंद्रीय कैबिनेट के टॉप-5 पद यानी गृह, रक्षा, विदेश, वित्त और रेल मंत्री तक पहुंचने वाले कम ही रहे हैं। कुछ बाहरी नेता राज्य से सांसद बन ऊपर तक पहुंचे, मगर राज्य की राजनीति से दूर ही रहे। आखिरी बार राज्य से नटवर सिंह ही 2004 में विदेश मंत्री रहे थे। सीपी जोशी, मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री बने तो सिर्फ 1 महीने के लिए। नटवर सिंह 2004-05 तक विदेश मंत्री रहे जबकि जसवंत सिंह 1998-04 तक वित्त, विदेश तथा रक्षामंत्री जैसे पदों पर रहे। बूटा सिंह राज्य से सांसद बने और गृहमंत्री रहे लेकिन,उनका जुड़ाव पंजाब से ही रहा। राज्य की राजनीति में उनकी रुचि कम ही रही। 1989 से 1991 तक केंद्र में गठबंधन सरकार में चौधरी देवीलाल उप प्रधानमंत्री रहे। उस वक्त वे राजस्थान के सीकर से लोकसभा सदस्य थे, मगर उनका नाता कभी राजस्थान की राजनीति से रहा ही नहीं। वे हरियाणा की राजनीति में ही रमे रहे।
अब तक यह रहे केंद्रीय मंत्रीमंडल में
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