नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक अहम फैसले में दाढ़ी बढ़ाने के चलते वायुसेना से हटाए गए मुस्लिम अफसर अंसारी आफताब अहमद की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि वायुसेना स्टाफ जब तक सर्विस में है, वह नियमों के मुताबिक दाढ़ी नहीं बढ़ा सकते। उन्हें दाढ़ी रखने को लेकर 2008 में वायुसेना से डिस्चार्ज कर दिया गया था। अंसारी ने अपने धार्मिक आधिकारों को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने निष्कासन को चुनौती दी थी। बता दें कि वायुसेना में नियमों के मुताबिक सिर्फ सिख सैनिकों को ही दाढ़ी रखने की इजाजत है।
अंसारी को कर्नाटक हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यह धार्मिक अधिकारों का नहीं, बल्कि सेना के नियमों से जुड़ा मामला है और इसमें दखल दोना कोर्ट ठीक नहीं समझता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायुसेना के स्टाफ जब तक सर्विस में हैं, वे दाढ़ी नहीं बढ़ा सकते। वायुसेना के अफसर अंसारी आफताब अहमद ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने धर्म के आधार दाढ़ी रखी थी और वायुसेना ने उन्हें हटाकर उनके साथ भेदभाव किया है।
आफताब ने अपनी याचिका में कहा था कि संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत दाढ़ी रखना उनका मौलिक अधिकार है। उन्होंने दलील दी थी कि जिस तरह वायुसेना में शामिल सिखों को दाढ़ी और पगड़ी रखने की इजाजत है, उसी तरह उन्हें भी इसकी अनुमति मिलनी चाहिए। हालांकि तत्कालीन यूपीए सरकार ने किसी तरह के सख्त कदम से बचते हुए यह निर्देश दिया था कि सेना में यदि मुस्लिम व्यक्ति दाढ़ी रखते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए, लेकिन बाद में सरकार ने विचार की बात कही थी।
क्या है मामला
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