उदयपुर। जयपुर नगर निगम में रातोंरात भाजपा के महापौर को बदलने के बाद अब लेकसिटी में भी नगर निगम के महापौर की कुर्सी पर कई नजरें टेढ़ी हो रही हैं। लोगों को चर्चाओं में ही उम्मीद की किरण नजर आ रही है। कोई मेयर के व्यवहार को कारण बता रहा है, तो कोई काम नहीं होने का तर्क दे रहा है। जयपुर मेयर मामले के फैसले के बाद विरोधियों की भी बांछे खिल गई हैं। निगम में अंदरखाने असंतोष की आग में सुलग रहे कुछ पार्षदों के साथ-साथ काम नहीं होने से परेशान कई शहरवासियों में महापौर चन्द्रसिंह कोठारी को बदलने की चर्चाओं का दौर जारी है। सभी दबी जुबान से महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन तक की बात करते नजर आ रहे हैं। उनकी नजर अब संगठन के नेताओं के निर्देश पर है। सोशल मीडिया की चर्चाओं ने आग में घी का काम करना शुरू कर दिया है। जयपुर नगर निगम में भाजपा के महापौर पर भाजपा के ही पार्षदों ने ही असंतोष व्यक्त किया था। जयपुर निगम में भाजपा पार्षदों ने ही महापौर को असफल बताते हुए हटाने की मांग की थी। इस पर जयपुर में भाजपा संगठन ने महापौर से इस्तीफा मांग लिया और पुन: चुनाव कराया। बुधवार को नए महापौर अशोक लाहोटी की ताजपोशी भी हो गई। जयपुर में इस भारी फेरबदल के बाद में अब उदयपुर के लोगों के साथ-साथ भाजपा नेताओं की नजर भी महापौर की कुर्सी पर जा टिकी हैं। उदयपुर निगम के महापौर चन्द्रसिंह कोठारी से भाजपा के ही अधिकतर समिति अध्यक्ष और पार्षद खफा चल रहे हैं। हालत यह हैं कि टोह लेने के लिए बात छेड़ते ही दर्द छलक आता है। अधिकतर पार्षदों का कहना है कि महापौर रूखे और सख्त रवैये से पेश आते हैं। इसी कारण वे उनके कक्ष में जाने तक से बचते हैं और अपनी बात नहीं कह पाने की टीस लिए मन मसोस कर रह जाते हैं। इसी तरह संगठन में भी भाजपा पार्षदों ने महापौर चन्द्रसिंह कोठारी की जमकर शिकायतें की हैं। कई बार उन्हें हटाने की मांग तक कर चुके हैं। संगठन ने कार्रवाई करने के बजाए हर बार शिकायत करने वाले पार्षद को ही महापौर के सामने खड़ा कर शिकायत के कारण पूछ लिए। इसी कारण अधिकांश पार्षदों को संगठन से भी खासी शिकायत है। इधर, जयपुर की फेरबदल के बाद भाजपा पार्षदों की नजर संगठन पर टिकी हुई है। भाजपा के अधिकतर समिति अध्यक्षों के साथ-साथ कई पार्षद चाहते हैं कि एक बार उनके मन की बात हो ही जाए। पार्षदों का मानना है कि महापौर पर शहर विधायक और गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का वरदहस्त है। इस ‘आभामंडल’ के सामने कोई सामने नहीं आ पा रहा है।
कई समिति अध्यक्षों ने साध रखी है चुप्पी
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