पंचारिया ने अपने खेत में ढाई हजार पौधे लगाए हैं। पौधे की लंबाई महज
8-10 फीट होती है लेकिन, मार्केट वैल्यू काफी होती है। ये किस्म एक साल बाद
फलने लगती है, दो-ढाई साल तक फल देती है। इसके लिए पौध को एक कतार में
लगाकर उसे प्लास्टिक से ढका गया है ताकि खरपतवार पैदा नहीं हो और कम से कम
पानी की आवश्यकता पड़े। इन पौधों के लिए साफ पानी दिया जाता है जिसे मशीन
द्वारा शुद्ध किया जाता है और क्यारियों में छोड़ा जाता है। अब इस क्षेत्र
के किसान मिर्च की बजाय पपीते के साथ व्यावसायिक खेती की और रुझान बढ़ा रहे
हैं। [@ Exclusive- राजनीति के सैलाब में बह गई देश के दो कद्दावर परिवारों की दोस्ती]
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