नई दिल्ली। कश्मीर
समस्या के समाधान के लिए एक सर्वदलीय प्रस्ताव में शांति और बातचीत की
अपील की गई है। इस प्रस्ताव में केंद्र और राज्य सरकार से सभी पक्षों
से बातचीत करने का आग्रह किया गया है. साथ ही नागरिकों और सुरक्षा बलों की
सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी गुजारिश की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय संप्रभुता के
साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। बयान में राज्य की मौजूदा स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा गया
कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का मानना है कि एक सभ्य समाज में हिंसा के
लिए कोई जगह नहीं है। इसमें कहा गया, राष्ट्रीय संप्रभुता के मुददों पर कोई
समक्षौता नहीं किया जा सकता। बैठक में दोनों सरकारों से कहा गया कि वे यह
सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए कि राज्य में शिक्षा संस्थानों, सरकारी
कार्यालयों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का कामकाज जल्द से जल्द सामान्य हो।
जम्मू-कश्मीर
की यात्रा पर जो 20 दलों का प्रतिनिधिमंडल गया था, उसके सांसदों की
दिल्ली में आज तीन घंटे की बैठक के बाद सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव
को जारी किया गया। कश्मीर में पिछले दो महीने से जारी
हिंसक प्रदर्शनों में 70 से भी अधिक मारे गए हैं और तकरीबन 10 हजार घायल
हुए हैं।
बैठक के बाद सर्वसम्मति से जारी किए गए एक बयान में राज्य के लोगों से
हिंसा का रास्ता छोड़ने और बातचीत एवं चर्चा के जरिये सभी मुददों का हल
करने की अपील की। हुर्रियत कांफ्रेंस सहित अलगाववादियों की तरफ कोई इशारा
किए बिना बयान में केंद्र एवं राज्य सरकारों से सभी हितधारकों के साथ
बातचीत के लिए कदम उठाने को कहा गया है। जहां कुछ विपक्षी नेता विभिन्न
उपकारागारों में बंद हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं से मिले वहीं हुर्रियत
के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी ने उनसे मिलने से मना कर
दिया।
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