अभिषेक मिश्रा,लखनऊ। इटौंजा तथा बख्शी का तालाब व फल पट्टी में चलाये जा रहे ईंट भट्ठे बीते कई वषों से आम की बागों में होने वाले उत्पादन पर लगातार बुरा असर डाल रहे हैं। फलों का राजा आम अब इस क्षेत्र में अपने अस्तित्व से संघर्ष कर रहा है। उद्यान विभाग की सचल इकाई बख्शी का तालाब के आंकडों के अनुसार 82 गांवों में फल पट्टी क्षेत्र का विस्तार है। इसके लिए विभाग समय - समय पर करोड़ों रुपये की योजनाएं भी संचालित कर रहा है। [ श्याम मसाले ने कराई घर घर में मौजूदगी दर्ज] [ यहां कब्र से आती है आवाज, ‘जिंदा हूं बाहर निकालो’ ] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
इन योजनाओं के द्वारा फल पट्टी क्षेत्र में फैले आम के बागों के संरक्षण के लिए धन व्यय किया जाता है। यहां लगभग 52 ईंट भट्ठे उद्यान विभाग के उन करोड़ों रुपये के योजनाओें पर पानी फेर रहे हैं। जिससे प्रत्येक वर्ष फल पट्टी क्षेत्र में आम का उत्पादन गिरता जा रहा है। ईंट-भट्ठों से निकलने वाला धुंआ और उसमें पायी जाने वाली जहरीली गैस आम के बौर के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रही है। इसके कारण आम का आकार छोटा -टेढ़ा और काला पड़ जाता है, अपने विशिष्ट स्वाद के लिए जाने, जाने वाला क्षेत्र का आम दशहरी, चौसा, व सफेदा निर्यात में भी जगह नही बना पा रहा है। इस कारण क्षेत्र के आम उत्पादकों का मोह इससे भंग हो रहा है। आम उत्पादक कौशल कुमार, राम नरेश सिंह, शिव कुमार, राधेलाल, राकेश तथा अन्य लोगों से जब आम के उत्पादन के बारे में बातचीत की गयी तो उनका दर्द जुबान पर आया ।
सिंघामऊ गांव के आम उत्पादक शिवकुमार व राम नरेश सिंह ने बताया कि सबसे ज्यादा आम के बौर को ईंट भट्ठों के धुंए से हानि हो रही है। जहां इस तरफ 33 प्रतिशत बागवानी को देखते हुए फल पट्टी घोषित कर दिया गया। वहीं पर उद्यान विभाग और प्रदूषण नियंतण्रबोर्ड द्धारा मानकों को ताक पर रखकर ईंट-भट्ठों को इस क्षेत्र में चलाने का लाइसेंस दिया गया है।
सरकार का यह दोहरा रवैया केवल आम के उत्पादकों की आंख में धूल झोंककर अपनी झोली भरना मात्र है। ईंट-भट्ठों की चिमनियों का निर्धारित मानक 132 फीट ऊचाई की है, किन्तु भट्ठों पर निर्धारित मानक से कम ऊंचाई होने की वजह से प्रदूषित धुंआ उगल रहें हैं। प्रदूषित धुएं से नागरिकों के हृदय सम्बन्धी बीमारियां हो सकती हैं। क्षेत्र के लोगों ने बताया कि ईंट भट्ठें के धुएं से न सिर्फ आम को हानि होती है, बल्कि सब्जी की खेती टमाटर, बैंगन, मिर्च, व अन्य फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। समय रहते अगर इस समस्या पर ध्यान न दिया गया तो बख्शी का तालाब क्षेत्र से आम व सब्जी गायब हो जायेगी।
जबकि ईंट भट्ठों के संचालकों का कहना है कि ईंट भट्ठें के धुएं से आम के उत्पादन में किसी प्रकार का कोई भी बुरा असर नही पड़ता है। प्रदूषण नियंतण्र बोर्ड ईंट-भट्ठों को लगाने की संस्तुति देता है।
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