कानपुर। चुनावी माहौल बनाने के लिए
राजनेताओं ने फ्लैक्स, बोर्ड बनाने के खूब आर्डर दिये पर नोटबंदी की मार से अब उन्हे
ले नहीं रहे हैं। जिससे कारोबारियों की कमर पूरी तरह से टूट चुकी है। कारोबारियों का
कहना है कि लाखों का माल डंप पड़ा हुआ है।
8 नवम्बर को जिस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच
सौ व हजार के नोट बंद करने का फरमान सुनाया था उस दौरान चुनावी माहौल बनाने के लिए
राजनेता प्रयासरत थे। ऐसे में प्रचार प्रसार के लिए राजनेताओं ने बैनर, होर्डिंग बनवाने
के लिए खूब आर्डर दिये। लेकिन नोटबंदी होने के चलते अपने आर्डर को लेने नहीं गए। जिससे
फ्लैक्स कारोबारियों का धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। यूनिक ग्राफिक्स के शारिक
सिद्दीकी ने बताया कि हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव के पांच से छह माह पहले से ही हमारा
धंधा अच्छे दिनों से गुजरता है। इस बार भी खूब आर्डर हुए पर इसी दौरान नोटबंदी आ गई
जिससे तैयार माल को राजनेता उठाने नहीं आ रहे है। जिससे हमें लाखों का नुकसान हो गया।
ऐसा ही दर्द श्रीराम ग्राफिक्स के चंचल गुप्ता का है उनका कहना है कि नोटबंदी का सीधा
असर हमारे कारोबार पर पड़ा है। अगर यही नोटबंदी चार से पांच महीने पहले होती तो तस्वीर
कुछ अलग होती लेकिन ऐसा समय था जब राजनेता अपनी मजबूती के लिए प्रचार प्रसार के लिए
होर्डिंग बैनर का सहारा लेते हैं। सूत्रों की माने तो कानपुर में फ्लैक्स कारोबारियों
को 8 से 10 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है।
फ्लैक्स कारोबार के मामले में कानपुर प्रदेश का बड़ा हब है। कानपुर
देहात, फतेहपुर, औरेया, इटावा, कन्नौज सहित बुन्देलखण्ड की कई जनपदों तक के राजनेता
होर्डिंग बैनर के लिए यहां आते है। ब्रह्मनगर, अस्सी फिट रोड, नई सड़क, फजलगंज आदि को
फ्लैक्स बोर्ड की मंडी कहा जाता है।
आचार संहिता भी बनी रोड़ा
फ्लैक्स बोर्ड कारोबारियों का कहना है कि नोटबंदी के
असर से उबरने के बाद यह उम्मीद थी कि नववर्ष में कारोबार पटरी पर आने लगेगा। लेकिन
आचार संहिता लागू होने से यह अवसर भी हाथ से चला गया। कारोबारी नसीम का कहना है कि
रोजाना हो रहे कामों से केवल खर्च ही निकलता है।
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