जयपुर। राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा है कि एसीबी को यदि निष्पक्षता से जांच की आजादी मिले तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को न केवल पद छोडऩा पड़ेगा, बल्कि उनका आधा मंत्रीमंडल भ्रष्ट्राचार के संगीन आरोपों में जेल में होगा। लेकिन एसीबी को निष्पक्ष जांच एजेंसी की बजाय राजनीतिक मोहरा बनाया जा रहा है, उनका आरोप है कि यह सब मुख्यमंत्री राजे के इशारे पर हो रहा है, जो कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। डूडी ने कहा कि भाजपा राज में हुए प्रदेश में हुए 45 हजार करोड़ रूपए के खान घोटाले को दबाने के लिए सरकार कांग्रेस नेताओं के खिलाफ साजिश रच रही है, पूर्व विधायक जुगल काबरा को इसी साजिश के तहत गिरफ्तार किया गया है।
डूडी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने कभी भी किसी दोशी व्यक्ति को संरक्षण नहीं दिया, और यदि किसी भी मामले में किसी पर आरोप सिद्ध होते हैं तो दोशी व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए। लेकिन जिस तरह जोधपुर में कांग्रेस के पूर्व विधायक जुगल काबरा को मुख्यमंत्री ने एसीबी पर दबाव डालकर गिरफ्तार कराया है, वह राजनीतिक साजिश की पराकाष्ठा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जोधपुर के कांग्रेस नेताओं को मुख्यमंत्री राजनीतिक रंजिशवश प्रताडि़त करा रही हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पिछले तीन साल में जिस तरह मुख्यमंत्री और उनके करीबी मंत्रियों पर एक के बाद एक भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उनकी तरफ से लोगों का ध्यान हटाया जा सके। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पिछले तीन साल में प्रदेष में 45 हजार करोड़ रूपए का बड़ा खान घोटाला हुआ। ललितगेट कांड में प्रदेश की मुख्यमंत्री का नाम उछलने से कई दिन संसद में भारी हंगामा हुआ। खान घोटाले की सीबीआई जांच के लिए कांग्रेस ने निरंतर आवाज उठाई लेकिन केन्द्र व राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की मांग स्वीकार नहीं की।
प्रदेश में एनआरएचएम घोटाले और खान घोटाले में दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों को जेल जाना पड़ा। जलदाय विभाग में हुए बड़े स्तर के घोटालों से पूरा प्रदेश हैरान रह गया। लेकिन इन सभी मामलों में मातहतों पर कार्रवाई कर घोटाले के मुख्य सूत्रधारों को बचा लिया गया ,क्योंकि इन घोटालों के कई सूत्रधार मंत्रीमंडल के अंग हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री राजे वास्तव में प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहती हैं। तो वे सबसे पहले खान घोटाले, एनआरएचएम घोटाले, जलदाय घोटाले आदि मामलों की एसीबी को निष्पक्ष जांच करने की आजादी प्रदान करें और इसकी जांच रिपोर्ट विधानसभा में सदन के पटल पर रखने का साहस दिखायें।
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