भरतपुर। जिले के कई गांवों में पेयजल की भयावह स्थिति बनती जा रही है। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए मीलों भटकने पर मजबूर हैं लेकिन, पानी फिर भी नसीब नहीं है। राष्ट्रीय मीना महासभा का दावा है कि पंचायत समिति सेवर की मुड़ौता ग्राम पंचायत के टहरकी गांव में पानी के मामले को लेकर हालात न केवल हृदय विदारक है अपितु, सभ्य समाज के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह जैसे हैं। टहरकी गांव में भूमिगत जलस्रोत सूख गए हैं। परिणामस्वरूप यहां के नागरिकों को अमानवीय जीवन जीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। गांव से एक हजार मीटर दूर मौजूद एक मात्र कुएं की स्थिति यह है कि महिलाएं जब बहुत देर तक अपनी बाल्टी डाल कर कुएं में रखती हैं तब उन्हें गदला और कीटाणुयुक्त मटमैला पानी मिलता है। गांव की महिलाओं को पानी लेने के लिए तीन किलोमीटर दूर ग्राम झारौली जाना पड़ता है या सिनपिनी और वह पानी भी पीने योग्य नहीं है। गांव में एक पोखर है जिसका पानी भी खराब हो चुका है। ग्रामीणों ने सरपंच, प्रधान, जिला परिषद सदस्य, जिला प्रमुख, विधायक और सांसद तक सभी को आग्रह किया पर किसी ने कुछ नहीं किया।
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