शिमला।प्रदेश के लाेग मानवाधिकार संबंधी शिकायतों को लेकर अपनी दरकार कहां लगाएं इसको लेकर यक्ष प्रश्न सामने खड़ा हो गया है। आयोग में सैकडो़ं मामलों का निपटारा लटका पड़ा है। हिमाचल प्रदेश मानवाधिकार आयोग 13 सालों में हांफ गया है। अब लाेग अपनी शिकायतों को लेकर कहां जाएं ।राज्य मानवाधिकार आयोग में सैंकड़ों शिकायतें सुनवाई के लिए आई हुई हैं लेकिन सुनवाई कौन करेगा जब आयोग में अध्यक्ष ही नहीें है। पिछले 10 सालों
से अध्यक्ष व सदस्यों के पद खाली पड़े हैं।
आज विश्व
मानवाधिकार दिवस है। इस दिवस को पूरे विश्व में शांति,अमन और भाईचारे के लिए पूरे
विश्व में मनाया जाता है। समय-समय पर विश्व में विश्व स्तर पर कोई प्रथम विश्व यु़द्ध
व द्वितीय विश्व यु़द्ध जिसकी वजह से मानवता का एवं सभ्यता का विनाश हुआ था और जिसकी
वजह से नागासाकी और हिरोशिमा में मानवता का भयंकर विनाश हुआ था। इस विनाश को रोकने
के लिए विश्व स्तर पर मानवाधिकार दिवस 10 दिसम्बर,1948 से मनाया जाता है। यदि किसी
व्यक्ति विशेष को मानवता के संरक्षण को लेकर न्याय नहीं मिलता है। वो देश के हर राज्य
मानवाधिकार आयोग में अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। यदि राज्य स्तर पर न्याय प्राप्त
नहीं होता है तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायतें दर्ज की जाती हैं। यदि राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग में भी न्याय प्राप्त नहीं होता है, तो विश्व मानवाधिकार आयोग में
मामलों का निपटारा किया जाता है।
बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग का
न तो अध्यक्ष मनोनीत किया गया है और न ही उनके साथ बैठने वाले सदस्य। हिमाचल प्रदेश
में लगभग 1400-1500 के करीब आई हुई शिकायतें धूल फांकती दिख रही है। जिसकी वजह से प्रदेश
में मानवाधिकार से जुड़े इतने मामले जिनका अब तक समाधान नहीं हुआ है व न्याय की प्रतीक्षा
कर रहे है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी इस संदर्भ में कोई रूचि नहीं दिखा रहा है।
सनराईज़ सोशल हेल्थ एंड एनवायरनमेंटल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष मोहन
स्नेही, ज्योति शर्मा, गोविंद, शेर सिंह, रीचा अरोड़ा, विरेंद्र शर्मा, सुरेंद्र ठाकुर,
चंद्र मोहन ठाकुर, अश्वनी शर्मा, निरंजना ने शनिवार को शिमला से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहीं इस अवसर पर स्नेही ने कहा कि यदि समय
रहते प्रदेश सरकार प्रदेश में मानवाधिकार आयोग
का गठन करती है। तो प्रदेश के हर जरूरतमंद आदमी को न्याय मिल सकेगा जो न्याय के लिए
दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है उसे न्याय मिलेगा, प्रदेश में न्याय के क्षेत्र
में अधिक पारदर्शिता देखने को मिलेगी। वहीं स्नेही ने कहा कि प्रदेश में मानवाधिकार
आयोग के साथ-साथ मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी खाली पड़ा है। जिसे लेकर प्रदेश सरकार
कोई कदम नहीं उठा रही है।
स्नेही ने कहा कि इस मामले को लेकर जल्द ही संस्था के पदाधिकारी
एवं प्रदेश का जागरूक तबका प्रदेश के राज्यपाल एवं देश के राष्ट्रपति को भी पत्र लिखेगा।
ताकि हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग एवं मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति समय पर
हो सके।
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