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वेब सीरीज समीक्षा: पोचर-गम्भीर मुद्दे पर गम्भीर सीरीज, सोचने पर मजबूर होता दर्शक

Web Series Review:  Poacher-Serious series on Serious issue, viewers are forced to think - Movie Review in Hindi

निर्माता: आलिया भट्‌ट
कलाकार : मिनिषा सजयन, रोशन मैथ्यू, दिबयेन्दु भट्टाचार्य, कनी कुश्रुति

निर्देशक : रिची मेहता

पिछले कुछ दिनों से आलिया भट्‌ट निर्मित वेब सीरीज पोचर की खासी चर्चा होती रही। इस वेब सीरीज के लिए कहा जा रहा था कि यह अपने समय की बेहतरीन सीरीज में शुमार होगी। इस वेबसीरीज की कहानी और उसे पेश करने का अंदाज, उसके दृश्य दर्शकों को जानवरों को होने वाली पीड़ा के बारे में सोचने पर मजबूर कर देंगे। हालांकि दृश्यों को फिल्माते वक्त जानवरों को किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं दी गई है, ऐसी घोषणा भी की गई है। पोचर अपनी शुरूआत से ही दर्शकों को अपने साथ बांधने में सफल होती है। यह न सिर्फ बांधती है अपितु यह गहराई से सोचने को मजबूर करती है। हालांकि कहीं-कहीं पर यह ढीली भी पड़ी है। वेब सीरीज 'पोचर' की शुरुआत एक हाथी के जंगल में बेरहमी से हुए शिकार से होती है। शिकारी इस विशाल जीव को निर्दयता से गोली मारता है और हाथी जमीन पर बेसुध हो जाता है। उसका खून बहते और उसके दांतों को निकालते देख आपका दिल दुख जाता हैद्ध यहीं से एक ट्विस्ट और टर्न्स से भरी जबरदस्त कहानी की शुरुआत होती है। 'पोचर' शुरुआत से ही साफ कर देती है कि यह एक गंभीर मुद्दे पर बनी गंभीर सीरीज है, जो आपको कई ऐसी जगहों पर लेकर जाएगी, जिसे देखकर आप बहुत कुछ महसूस करने वाले हैं।

हाथियों के शिकार की दर्दनाक कहानी

भारत में 1991 में जानवरों के शिकार पर रोक लगा दी गई थी। भारतीय वन्यजीव अधिनियम के तहत ये किया गया था। 1995 में केरल के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने देश के सबसे बड़े हाथियों का शिकार करने रैकेट का पर्दाफाश किया था। इस रैकेट की पहुंच विदेशों के बड़े और खतरनाक गैंग्स तक थी। सीरीज के निर्देशक रिची मेहता ने इस विषय पर गहन शोध किया है इस बात को पोचर देखते हुए समझा जा सकता है। हाथियों के शिकार, हाथी दांत की गैर-कानूनी तस्करी और उससे जुड़े अलग-अलग रिंग्स को आप सीरीज में देखते हैं। इसकी शुरुआत एक शिकारी के खुद को सरेंडर करने से होती है। वो राज नाम के शख्स के बारे में बताता है, जो पुलिस के सामने शिकार छोड़ देने की इमेज बनाकर उनके पीठ पीछे अवैध रूप से हाथियों की हत्या कर रहा है। अब शुरू होती है राज की तलाश। सीनियर फॉरेस्ट अफसर नील (दिबयेन्दु भट्टाचार्य) अपनी एक टीम खड़ी करते हैं, जिनके ऊपर हाथियों के शिकार को रोकने और इसके पीछे छिपे लोगों का पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी है। फॉरेस्ट अफसर माला जोगी (मिनिषा सजयन) को इस केस की जिम्मेदारी दी जाती है। माला के साथ है एलन (रोशन मैथ्यू), जो कि नंबर्स के साथ-साथ सांपों के एक्सपर्ट भी हैं और एक्ट्रेस कनी कुश्रुति। माला जानवरों से प्यार करती है। यह केस उसके लिए खास है, क्योंकि उसके पिता खुद एक शिकारी रह चुके हैं। अपने पिता के पाप का प्रायश्चित करती और शिकारियों का शिकार करती माला का रास्ता आसान नहीं है, लेकिन फिर भी वो, नील और एलन अपने परिवारों को छोड़ इस सफर पर निकल पड़े हैं, बिना जाने कि आगे उनके रास्ते में क्या-क्या होने वाला है। मिनिषा सजयन, रोशन मैथ्यू और दिबयेन्दु भट्टाचार्य ने इस सीरीज में बढ़िया काम किया है। तीनों ने अपने किरदारों पर मेहनत की है, जो स्क्रीन पर नजर आती है। कनी कुश्रुति ने अपनी भूमिका को बड़े प्रभावी अंदाज में प्रस्तुत किया है, जब वो परदे पर नहीं होती तो उनकी कमी दर्शकों को खलती है।

रिची का काम है बेमिसाल

निर्देशक रिची मेहता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो गम्भीर मुद्दों को जरूरी सेंसिटिविटी से परोसना जानते हैं। हां, 'पोचर' बीच में थोड़ी ढीली पड़ती है। इसके कई सीक्वेंस ड्रामैटिक भी हैं, लेकिन अपनी इस सीरीज से रिची आपको बहुत बड़ी सीख देते हैं। साथ ही आपको उस दर्द को भी महसूस करवाते हैं, जो आपको जानवरों के साथ हो रही बेरहमी को देखकर होना चाहिए।

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Web Title-Web Series Review: Poacher-Serious series on Serious issue, viewers are forced to think
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