लेखक निर्देशक, संगीतकार, गीतकार विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘रंगून’ सीमित दर्शकों को अपने मोहपाश में बांधने में कामयाब होगी। फिल्म का कैनवास बडा, फिल्मांकन अच्छा, गीत-संगीत, संवाद सब कुछ सही है नहीं है तो सिर्फ फिल्म की कहानी, जो युद्ध और प्रेम त्रिकोण के मध्य में फंसी है। उस पर सेंसर बोर्ड की मार जिसने कंगना रनौत, शाहिद और सैफ के मध्य फिल्माये गए उन दृश्यों को हटा दिया है जिनको देखने के लिए दर्शक लालायित नजर आ रहा था। रंगून आजादी से पहले की कहानी है जो युद्ध की पृष्ठभमि पर रची गई है। इस फिल्म में एक प्रेम त्रिकोण है जो कंगना, सैफ और शाहिद के बीच में दिखाया गया है। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस की उन कोशिशों को भी दिखाया गया है कि कैसे वह आईएनए के जरिए देश को आजादी दिलाने की कोशिश करते हैं। इस फिल्म में कंगना रनौत एक फिल्मी अभिनेत्री के किरदार में हैं तो वहीं सैफ अली खान रूसी बिलमोरिया नाम के एक फिल्म प्रोड्यूसर के किरदार में हैं। शाहिद कपूर इस फिल्म में आईएनए के एक सिपाही बने हैं जो अंग्रेजों की सेना में रहकर आईएनए का काम करते हैं। [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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