कहानी : फिल्म नोटबुक दो ऐसे शिक्षकों कबीर (जहीर इकबाल) और फिरदौस
(प्रनूतन बहल) की कहानी है। कबीर पेशे से पूर्व ऑर्मी ऑफिसर की भूमिका में
है जो एक टीचर के तौर पर कश्मीर के एक स्कूल को ज्वॉइन करते है। लेकिन किसी
कारण फिरदौस के स्कूल से हटने के बाद कबीर की यहां नियुक्ति होती है। इसी
कारण दोनों की मुलाकात नहीं हो पाती है। इसलिए ऐसे में ये दोनों एक दूसरे
से कभी नहीं मिले हैं। फिरदौस का किरदार ऐसा है जो अपनी जिंदगी आजादी से
जीना चाहता है और हालत उसका साथ न देने के बावजूद वो कश्मीर के उस स्कूल
में बच्चों को पढ़ाने में खुशी महसूस करती हैं।
वहीं कबीर का किरदार ऐसा है
जो फिरदौस के स्कूल से जाने के बाद बच्चों से घुलने-मिलने की कोशिशों में
जुटा है और साथ ही अपनी जिंदगी को एक दिशा देना चाहता है। तभी कबीर को
स्कूल के ड्रावर में फिरदौस की छूटी एक डायरी मिलती है जिसे पढ़ते-पढ़ते
उसे फिरदौस की छवि से प्यार हो जाता है।
लेकिन फिल्म में सबसे दिलचस्प बात
ये है कि फिरदौस और कबीर एक दूसरे से कभी नहीं मिले लेकिन फिल्म की कहानी
ऐसा मोड़ लेती है जहां एक दूसरे से मिले बिना भी इन्हें प्यार हो जाता है।
फिल्म में कबीर को अपना प्यार मिलता है या नहीं आखिर फिल्म क्या संदेश देती
है।
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