फिल्म समीक्षा
बॉब बिस्वास ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
निर्माता—गौरी खान, सुजॉय घोष, गौरव वर्मा
निर्देशक—दिव्या अन्नपूर्णा घोष
लेखक—सुजॉय घोष, राज वसंत
अवधि—2 घंटे 12 मिनट
प्लेटफार्म- जी5
अतीत कभी पीछा नहीं छोड़ता है। गलत काम का गलत नतीजा ही मिलता है। हां, अगर जीवन में कुछ अच्छा किए हो, तब उसका भी फल जरूर मिलता है। एक लाइन की इस कहानी को लेखक निर्देशक की जोड़ी बेहतरीन कथानक के साथ पेश किया है। फिल्म 2012 में प्रदर्शित हुई सुजॉय घोष की कहानी के किरदार बॉब बिस्वास का स्पिन ऑफ है। ओटीटी प्लेटफॉम्र्स पर प्रदर्शित हुई अभिषेक बच्चन की फिल्म बॉब बिस्वास को सिर्फ और सिर्फ अभिषेक बच्चन के दमदार अभिनय के कारण देखना पसन्द किया जा सकता है। अन्नपूर्णा घोष के निर्देशन में बनी बॉब बिस्वास जासूसी एक्शन थ्रिलर फिल्म है जिसमें रहस्य को अन्त तक बरकरार रखा गया है। फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी धीमी गति के साथ पूर्वाद्र्ध का बोरिंग होना भी है।
फिल्म की कहानी मध्यान्तर से पूर्व थोड़ा बोरिंग लगती है, क्योंकि किरदार के एक-दूसरे के साथ रिश्ते और बॉब क्यों एक के बाद एक मर्डर कर रहा है, यह समझ से परे होता है। लेकिन ज्यों-ज्यों कहानी आगे बढ़ती और परत-दर-परत बिस्वास की जिन्दगी के बारे में खुलासा होता है, त्यों-त्यों कहानी रोचक बन पड़ती है। मध्यान्तर के बाद फिल्म गति पकडऩे के साथ ही रोचक हो जाती है।
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