हिंदी सिनेमा की सबसे चहेती कॉमेडी फ्रेंचाइज़ी 'हाउसफुल' अपने पांचवें भाग के साथ लौट आई है, और इस बार ये सिर्फ हँसी तक सीमित नहीं है। 'हाउसफुल 5' एक ऐसी कहानी है जिसमें मर्डर मिस्ट्री, भ्रम और बेवकूफी से भरे किरदारों का तड़का दर्शकों को हंसी के साथ सस्पेंस से भी भर देता है। अक्षय कुमार और रितेश देशमुख की मजेदार जोड़ी, ग्लैमर से भरा क्रूज़ सेटअप और पागलपन से भरे ट्विस्ट—यह फिल्म थिएटर में मस्ती के भूखे दर्शकों को खूब लुभाएगी।
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कहानी और पटकथा
फिल्म की कहानी शुरू होती है ब्रिटेन के बेहद अमीर व्यक्ति रंजीत डोबरियाल के 100वें जन्मदिन की पार्टी से, जो एक शानदार क्रूज़ पर आयोजित की जाती है। सब कुछ सामान्य लगता है, लेकिन तभी रंजीत की रहस्यमयी मौत हो जाती है। वसीयत के मुताबिक सारी संपत्ति उनके पहले बेटे ‘जॉली’ को मिलनी है, लेकिन मुश्किल तब खड़ी होती है जब तीन लोग खुद को 'जॉली' बताकर क्रूज़ पर आ जाते हैं। मामला तब और उलझ जाता है जब रात को एक हत्या हो जाती है और अगली सुबह किसी को रात का कुछ भी याद नहीं रहता। कहानी तेजी से उलझनों और मज़ेदार मोड़ों के साथ आगे बढ़ती है।
पटकथा काफी हद तक संतुलित है, हालांकि दूसरे भाग में कुछ दृश्य अनावश्यक लगते हैं। लेखकों ने कई किरदारों और उनके इरादों को एकसाथ पिरोने की अच्छी कोशिश की है, जो कि इस तरह की मल्टी-कास्ट फिल्मों में एक चुनौती होता है।
अभिनय
अक्षय कुमार ने एक बार फिर साबित किया है कि कॉमेडी में उनका कोई सानी नहीं है। उनकी डायलॉग डिलीवरी और हास्य भाव-भंगिमा दर्शकों को खूब हँसाती है। रितेश देशमुख हमेशा की तरह एक भरोसेमंद कॉमेडियन साबित होते हैं, जबकि अभिषेक बच्चन थोड़ा फीके नजर आते हैं, हालांकि उनका किरदार मजेदार है।
महिलाओं की भूमिका में जैकलीन फर्नांडिस, सोनम बाजवा और नरगिस फाखरी ने ग्लैमर के साथ कहानी को जीवंत बनाए रखा है। संजय दत्त और जैकी श्रॉफ की पुलिस की जोड़ी से उम्मीदें ज़्यादा थीं, लेकिन उनके संवाद अपेक्षानुसार नहीं जम पाए। नाना पाटेकर की देर से एंट्री होती है, मगर वह दृश्यों में जान डाल देते हैं। वहीं चंकी पांडे, जॉनी लीवर और श्रेयस तलपड़े जैसे कलाकारों की कॉमिक टाइमिंग भी फिल्म को मजेदार बनाती है।
संगीत और तकनीकी पक्ष
फिल्म का संगीत कहानी के साथ मेल खाता है। ‘लाल परी’, ‘दिल-ए-नादान’ और ‘क़यामत’ जैसे गाने कर्णप्रिय हैं और माहौल बनाते हैं। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की रफ्तार और सस्पेंस को बनाए रखने में मदद करता है।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी रंगीन और भव्य है, जो क्रूज़ पर आधारित फिल्म के लिए जरूरी भी है। हालांकि वीएफएक्स और कुछ दृश्य थोड़े कृत्रिम लगते हैं, विशेषकर अंत के कुछ हिस्सों में जो ChatGPT जैसी ग्राफिक्स का आभास कराते हैं। संपादन की बात करें तो फिल्म का पहला हिस्सा चुस्त है, लेकिन दूसरे हाफ में थोड़ी ढील देखने को मिलती है।
निर्देशन
निर्देशक तरुण मनसुखानी ने एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है—एक सफल फ्रेंचाइज़ी की विरासत को आगे बढ़ाना। उन्होंने कॉमेडी, रहस्य और अराजकता का मेल इस तरह प्रस्तुत किया है कि दर्शक मनोरंजन से भरपूर अनुभव करते हैं। हालांकि कुछ जगहों पर निर्देशन थोड़ी स्पष्टता खोता है, फिर भी फिल्म की मूल भावना—'बेवकूफी में मज़ा'—को उन्होंने बनाए रखा है।
हाउसफुल 5 एक ऐसी फिल्म है जिसे आप गंभीरता से नहीं बल्कि मनोरंजन के नज़रिये से देखें, तो यह बेहद मजेदार और पैसा वसूल साबित होगी। हास्य, सस्पेंस, ग्लैमर और पागलपन से भरपूर यह फिल्म खासतौर पर उन दर्शकों के लिए है जो थिएटर में सिर्फ हँसी और मस्ती की तलाश में जाते हैं।
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