निर्देशक : के.एस. रवीन्द्र
कलाकार : पवन कल्याण, काजल अग्रवाल, शरद केलकर
कथा-पटकथा-संवाद : पवन कल्याण
बहुप्रचारित इस फिल्म को देखते हुए मन में एक सवाल उठ रहा था कि क्या सोचकर इस फिल्म को हिन्दी में डब किया गया है। अच्छा होता पवन कल्याण इसे रीमेक करके हिन्दी में पेश करते। कम से कम उन गलतियों से तो निजात मिल जाती जो परदे पर देखते हुए उनके ज्ञान का बखान करती हैं! हिन्दी में डबिंग इतनी कमजोर है संवादों के साथ सितारों के होंठ मेल नहीं खाते हैं। दृश्य और संवाद आगे पीछे होते हैं जो बुरी तरह से अखरते हैं। गानों में भी कमोबेश यही हाल है लेकिन वहाँ दर्शक का ध्यान नायिका की कमर पर ही लगा रहा है।
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