फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पर इसे अभिषेक कपूर ने छोडा
था। उन्होंने इसका कथानक इससे आगे का लिखा है। बिछड चुके चारों दोस्त
अपनी-अपनी जिन्दगी जी रहे हैं, जिन्हें एक नवोदित गायिका फिर से मंच पर
लाती है और उनका मैजिक बैंड पुन: सक्रिय करती है।
अपने पहले भाग के
मुकाबले ये दूसरा भाग कहानी के मामले में कमजोर है। ऊपर से इस बार फिल्म का
संगीत भी औसत है। इसके गीत बस फिल्म देखते समय कुछ देर के लिए ही अच्छे
लगते हैं। मुश्किल है कि आप थियेटर से बाहर आते समय इसका कोई गीत गुनगुनाते
निकलें। बात केवल रॉक आधारित गीतों की ही नहीं है। फिल्म की सबसे बडी
दिक्कत है इसके किरदारों के आपसी झंझावात, जबकि यही झंझावात पिछली फिल्म की
ताकत थी। शायद ये दोहराव ही इस कहानी में पहले जैसा असर नहीं जगा पाता।
क्रू को लेकर ट्रेड विश्लेषक आशान्वित, 8 करोड़ से ज्यादा ओपनिंग की उम्मीद
गॉडजिला एक्स कॉन्ग को लेकर उत्साहित दर्शक, ओपनिंग 13 करोड़
एआर रहमान और कैलाश खेर की परफॉर्मेंस ने मचायी धूम, झूमे फैंस
Daily Horoscope